रूद्र ना० यादव/२८ जुलाई २०११
भीषण गरमी का समय और मधेपुरा में बिजली की घटिया स्थिति.उस पर भी यदि वोल्टेज का प्रॉब्लम हो, तो अंत में प्राकृतिक हवा का कृत्रिम रूप से दोहन कर ही जान बचाई जा सकती है.कहते हैं अपना हाथ जगन्नाथ. जी हाँ, यदि आप सदर अस्पताल मधेपुरा में हैं तो इस झुलसाती गरमी में आपको हथपंखे (हैंडफैन) का सहारा ही राहत दे सकता है.सदर अस्पताल मधेपुरा में रोगियों का दर्द और बढ़ जाता है जब इसमें लगे आदम ज़माने के पंखे घूमते तो जरूर नजर आते हैं,पर ये हवा की डिलीवरी नहीं कर पाते.इसी लिए तो हैंडफैन बेचने वाले यहाँ गरमी भर
स्थायी तौर पर जमे रहते हैं.हाथपंखा विक्रेता मदन कहता है, सिंघेश्वर या देवघर जाने वाके को बाबा एक सहारा, और सदर अस्पताल आने वाले को पंखा एक सहारा.सदर अस्पताल में मिरमिराते बल्व और कछुए की चाल से चलते पंखे के बारे में अस्पताल के उपाधीक्षक जी.पी. तम्बाखूवाला कहते हैं कि अस्पताल में बिजली के तार काफी पुराने और जर्जर किस्म के हैं,जिन्हें बदलने की आवश्यकता है.
स्थायी तौर पर जमे रहते हैं.हाथपंखा विक्रेता मदन कहता है, सिंघेश्वर या देवघर जाने वाके को बाबा एक सहारा, और सदर अस्पताल आने वाले को पंखा एक सहारा.सदर अस्पताल में मिरमिराते बल्व और कछुए की चाल से चलते पंखे के बारे में अस्पताल के उपाधीक्षक जी.पी. तम्बाखूवाला कहते हैं कि अस्पताल में बिजली के तार काफी पुराने और जर्जर किस्म के हैं,जिन्हें बदलने की आवश्यकता है.
सवाल यह है कि जब आवश्यकता महसूस करते हैं तो जल्द क्यूं नहीं बदलवा देते हैं, क्या अस्पताल प्रशासन इन जर्जर तारों कि वजह से होने वाले किसी दुर्घटना का तो इन्तजार नहीं कर रहा ?
हैंडफैन के सहारे चल रहा मधेपुरा का सदर अस्पताल
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 28, 2011
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