माँ की बेवफाई ने बच्चों और पति को किया बर्बाद

राकेश सिंह/२२ जुलाई २०११
कुमारखंड के सिकरहटी गाँव की प्रमिला ने अपने तीन मासूम बच्चों की ममता को ठुकराकर नए प्रेमी के साथ विवाह क्या रचाया इन मासूमों का भविष्य अधर में लटकता दीख रहा है.न्यायालय ने भी प्रमिला को स्वेच्छा से अपने नए पति के साथ जाने की इजाजत तो दे दी,पर पहले पति विनोद के आंसू थमने का नाम नही ले रहा है.कल तीनों मासूम बच्चों के साथ न्यायालय पहुंचे विनोद ने सबों से एक ही प्रश्न किया कि मेरी क्या गलती थी?बच्चों को देखने जमा हजारों की भीड़ में से हर कोई विनोद के प्रति संवेदना जाता रहा था.बच्चों और पति को रोते देख लोगों की आँखें भी नाम हो गयी.विनोद के गाँव की ही सीता देवी का कहना था कि विनोद एक अच्छा इंसान तथा पत्नी और बच्चों को बेहद प्यार करने वाला था.प्रमिला का हरजाई स्वभाव उसे हवस की आग में धकेलता चला गया.ग्रामीणों के अनुसार एक बच्चे का बाप प्रमोद यादव ने प्रमिला के बदचलन होने का फायदा उठाया और अपनी पत्नी और बच्चे को भी दगा दे गया.न्यायालय से न्याय नही मिलने से आहत विनोद सरदार ने लोगों से ही गुजारिश की कि मैं अपने बच्चों को जान से ज्यादा चाहता हूँ.बच्चों की खातिर मैं अभी भी सबकुछ भूलकर प्रमिला को अपनाने को तैयार हूँ,कोई उसे समझाईये कि उसने जो किया अच्छा नही किया.
   पर तीसरी कक्षा तक पढ़े विनोद ने शायद ये नही पढ़ा होगा कि त्रिया चरित्रम, पुरुषस्य भाग्यम देवो न जानति कुतो मनुष्यम् ?
माँ की बेवफाई ने बच्चों और पति को किया बर्बाद माँ की बेवफाई ने बच्चों और पति को किया बर्बाद Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 22, 2011 Rating: 5

1 comment:

  1. क़ानूनी विन्दु पर यहाँ बहस की जरुरत है /मेरे विचार से न्याय के इस मंदिर से पहले पति बिनोद को न्याय नहीं मिल सका /आखिर बिनोद के जीवित रहते उसकी पत्नी अपनी मर्जी से दूसरी शादी कैसे कर सकती है ?यहाँ उसका बालिग होना ही काफी नहीं है /ऐसे में तो दुनिया भर की पत्नियाँ अपने अपने पतियों को छोर कर बार-बार शादी करती रहेंगी और बेचारा पति अपने बच्चों के साथ सिर्फ आंसू बहता रहेगा /न्यायलय ने आदेश पारित करने में शायद जल्दीबाजी कर दी /आखिर बच्चों और बेचारे पति के अधिकारों के बारे में न्यायलय ने क्यों नहीं विचार किया /यहाँ सामाजिकता मारी जाती है /कानून वो है जो हमारे अधिकारों की रक्षा करता है न की हमें आंसू बहाने पर विवश करता है /यह आदेश पूरी तरह असमाजिक और असंतोषजनक है/

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