रूद्र ना० यादव/१० जून २०११
वर्ष २००८ में कोशी के कहर झेल चुके लोग इस बार फिर दहशत में आ चुके हैं.दरअसल पायलट चैनल का काम अभी तक शुरू नही हो पाना और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा पुरजोर तैयारी शुरू कर देने से इस आशंका को बल मिलने लगा है कि इस बार फिर इलाके के लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है.बाढ़ के विषय में जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि १५ जून से १५ अक्टूबर के बीच ही पानी का डिस्चार्ज अधिकतम होने की सम्भावना रहती है.मालूम हो कि नेपाल में पायलट चैनल का काम इस अफवाह के चलते रोक दिया गया है कि इस चैनल के
बनने पर नेपाल में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है.सरकार द्वारा बातचीत कर इस समस्या का हल जल्द ही सुलझा लेने की सम्भावना तो है,पर जानकारों का ये भी कहना है कि पूरी ताकत झोंक देने पर भी पायलट चैनल का काम पूरा होने में कम से कम तीन सप्ताह लगेंगे.ऐसे में अभी से भी यदि काम फिर से आरम्भ होता है तो इस महीने के अंत तक ही काम पूरा हो सकेगा.और खतरा १५ जून के बाद कभी भी उत्पन्न हो सकता है.हालाँकि गनीमत की एक बात ये है कि अभी वाटर डिस्चार्ज २८ हजार क्यूसेक के आसपास ही है, जिससे स्परों पर दवाब बनने की सम्भावना काफी कम है.
टेंट से भरा ट्रक |
प्रशासन की तैयारी |
पर जिला आपदा प्रबंधन विभाग की तैयारी को देखकर लोगों का शक और पुख्ता हो रहा है कि जब बाढ़ का खतरा नही है तो फिर जिला प्रशासन इतनी बड़ी तैयारी को क्यों अंजाम दे रही है.आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी गुलाम मुस्तफा अंसारी के अनुसार हमने प्रचुर मात्रा में टैन्टों व अन्य साधनों की व्यवस्था लगभग कर ली है.आम लोग भी इस बार सावधानी में कोई चूक होने देना नही चाहते हैं, क्योंकि वर्ष २००८ की कुशहा त्रासदी ने इलाके के लाखों लोगों को बुरी तरह प्रभावित कर दिया था और अभी तक लोग उस सदमे से नही उबर पाए हैं.जो भी हो, रह रह कर उठ रही अफवाह ने लोगों को डरा तो जरूर ही दिया है.
फिर दहशत में मधेपुरा, आपदा विभाग ने भी कसी कमर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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June 10, 2011
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