दुष्कर्म..मासूम बन रहे सॉफ्ट टारगेट

अस्पताल में पड़ी सुनीता और उसकी माँ
सुपौल से पंकज भारतीय/११ मार्च २०११
बुधवार को बसंतपुर प्रखंड के बनैलीपट्टी में चहुँओर आयोजित हो रहे विष्णु महायज्ञ की गहमागहमी थी.सात वर्षीया अबोध बालिका सुनीता का बालमन भी महायज्ञ देखने को मचल पड़ा.अबोध सुनीता धार्मिक संस्कार से भलीभाँति परिचित थी.पुण्य का भागी बनने से पहले स्नान करना उचित समझा तो घर के पास खेत में चल रहे पम्पसेट पर स्नान करने पहुँच गयी.ठीक उसी समय जो कुछ सुनीता के साथ घटित हुई उसे वह ताउम्र शायद नही भुला पायेगी.पम्पसेट पर अपनी सहेली के साथ स्नान करने पहुंची सुनीता का सामना सहेली के भाई राजेश मेहता उर्फ भूपदेव से हुई.राजेश ने अपनी बहन को घर भेज सुनीता के साथ खेत में बर्बरता के साथ दुष्कर्म को अंजाम दिया.बहन की सहेली के साथ दुष्कर्म कर रहे वहशी राजेश को रिश्तों की अहमियत की लेशमात्र भी परवाह नही रही.२१ वर्षीय नरपिशाच राजेश के इस कृत्य से न केवल मानवता शर्मशार हुई बल्कि सामाजिक रिश्ते तथा मानवीय संवेदना के अस्तित्व पर भी सवाल उठना लाजिमी है.
   सदर अस्पताल, सुपौल में सुनीता का इलाज हो रहा है.अपरिचित को सशंकित भाव से देखती सुनीता की आखों में अथाह वेदना को केवल महसूस किया जा सकता है.क्योंकि अपरिचित की कौन कहे,अपनों ने ही कलंक कथा लिखने का काम किया है.इलाज कर रहे डॉक्टर ने इसे क्रूरतम प्रयास कहा.जिसने भी सुना उसने धिक्कारते हुए इसे जघन्यतम करार दिया.
शर्मनाक है इतिहास:
आंकड़े गवाह हैं कि अबोध बालिकाएं दुष्कर्मियों के सॉफ्ट टारगेट साबित हो रहे हैं.गत चार माह में जिले में यूं तो दुष्कर्म के एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज हुए हैं, लेकिन तीन ऐसी घटनाएं घटित हो चुकी हैं जो अमन-पसंद सुपौल वासियों के माथे पर अमिट कलंक के रूप में दर्ज हो चुका है.३ नवंबर की रात सुपौल के रेलवे स्टेशन के पास झोंपड़ी में रहने वाली आठ वर्षीया लवली की दुष्कर्म के बाद गला दबा कर हत्या कर दी गयी.१२ नवंबर को छातापुर वार्ड नं० ३ में रहने वाली नौ वर्षीया मन्नू के साथ छठ के दिन नरपिशाच उमेश सिंह ने दुष्कर्म को अंजाम दिया.अब बनैलीपट्टी की सुनीता नरपशु का शिकार बनी है.
गरीबी बनती है कारण:
लवली,मन्नू और सुनीता में एक बात की समानता है कि तीनों आर्थिक रूप से विपन्न माँ-बाप की संतान थे.लवली दस रूपये लेकर मांस खरीदने बाजार गयी थी जो वापस नही आई.छातापुर की मन्नू बकरी चराने खेत गयी थी जब यह वाकया हुआ.सुनीता के पिता भी आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हैं.स्पष्ट है कि गरीब तबके की बच्चियों को आसानी से बहलाया फुसलाया जा सकता है.अभाव में पल रहे मासूम आसानी से प्रलोभन का शिकार हो जाते हैं.ऐसी बच्चियों के माँ-बाप मजदूर वर्ग के होते हैं जो दिन रात रोटी दाल की जुगाड़ में लगे रहते हैं.ऐसे में उनकी समुचित देखभाल नही हो सकती है.
पुलिस सुस्त,समाज संवेदनहीन:
लवली हत्याकांड के चार माह बीतने को हैं और कार्यवाही के नाम पर दो संदिग्ध की तत्काल गिरफ्तारी हुई और पुलिस चैन की बंशी बजा रही है.जिला पुलिस भी रेल पुलिस का मामला बता कर अपना पल्ला झाड़ रही है.हालांकि जिला पुलिस इस बात को भूल गयी है परिस्थितिजन्य साक्ष्य बताते हैं कि दुष्कर्म और हत्या का क्षेत्र वह नही है जहाँ लाश मिली है.छातापुर की मन्नू का आरोपी आज तक फरार है.यह संयोग ही कहा जा सकता है कि २४ घंटे के बाद ही सुनीता के दुष्कर्मी राजेश मेहता की गिरफ्तारी संभव हो पाई है.
   लवली हत्याकांड के बाद शहर की चुप्पी समझ से परे थी.संभवतः उसी का परिणाम था कि ऐसे लोगों के हौसले बुलंद होते गए.मन्नू के दुष्कर्म की खबर तो पुलिस को एक दिन के बाद ही पता चली.इस कांड में सामाजिक भूमिका शर्मनाक रही.समाज के तथाकथित ठेकेदारों ने मामले को दबाने का प्रयास किया और मन्नू के अस्मत की कीमत दस हजार रूपये और चंद गज जमीन लगाई.सुनीता मामले में भी समाज और पुलिस दोनों की संवेदनहीनता उजागर हुई.दुष्कर्मी राजेश मुंह काला करने के बाद भी सभ्य समाज के लोगों के बीच दो घंटे तक मौजूद रहा लेकिन किसी ने उसे भागने से रोकने की कोशिश नही की.पुलिस कागजी खानापूर्ति में वक्त गवाईं और दो घंटे बाद गांव पहुंची.तब तक दुष्कर्मी फरार हो चुका था.हालांकि सकून की बात यह है कि २४ घंटे के बाद दुष्कर्मी राजेश पुलिस के कब्जे में है.इस प्रकार पुलिस ने दुष्कर्मी को गिरफ्तार कर अपनी किरकिरी होने से बचा ली है.

मासूमों के साथ दुष्कर्म करने वाले सामाजिक रूप से उपेक्षित तो होते ही है वे यौन विकृति के भी शिकार होते हैं.मासूमों को शिकार बनाना अपेक्षाकृत आसान होता है क्योंकि वे प्रतिरोध नही करते.आर्थिक तंगी की वजह से प्रलोभन भी कारगर होता है.
              -डा० एम०आई० रहमान,वरिष्ठ प्राध्यापक
               मनोविज्ञान विभाग,बी०एन०एम०यु०,मधेपुरा.
दुष्कर्म..मासूम बन रहे सॉफ्ट टारगेट दुष्कर्म..मासूम बन रहे सॉफ्ट टारगेट Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 11, 2011 Rating: 5

1 comment:

  1. kuchh bhi ho ,hamara kanoon chahe jo kahe mera manena hai ki aiese darindo ko is samaj me kya is dharti par jeene ka koi hak nahi hai.Ye jis maa bap ki santan hai ve kya soch rahe hai.unko pura pura hak hai ki ve apne is najayaj auladd ka khatma kar de,agar ve aisa nahi karte hai to meri najar me ve bhi barabar ke doshi hai.Aur doshiyo ko kya saja milni chahiye ye janta jaanti hai.

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