सरकार की कोई योजना नही:रेणु |
रूद्र नारायण यादव/०९ फरवरी २०११
आये दिन किसानों की बर्बादी की कहानी सुनने को मिल रही है और उनकी आत्महत्या की खबर भी आम है.(पढ़ें:“मैं कुछ नहीं करता, बेकार हूँ ........... किसान हूँ।”). इसी कड़ी में अब मधेपुरा के गन्ना किसानों को भी जोड़ा जा सकता है.इन दिनों मधेपुरा के गन्ना किसान भुखमरी के कगार पर पहुँच गए हैं.फसल काटने का समय बीतता जा रहा पर वे
सूख रहे गन्ना |
सूखे गन्ने ले जाते किसान |
हतोत्साहित हुए किसान |
गन्ने की फसल काटें तो किसलिए? दरअसल उनके गन्ने का खरीददार नही मिल रहा.खेत में ही फसल सूख रहे हैं और किसान सर पर हाथ रखकर रो रहे हैं. मार तो उनपर भाव की भी पड़ी है.पहले जहाँ ये ढाई सौ रूपये क्विंटल बिकता था वहीं अब इसका भाव सवा सौ रूपये क्विंटल पर आ गिरा है.इसके बाद भी खरीददार या तो नही मिल रहे या मिलने पर भी नखरे दिखा रहे हैं.एक तो सरकार की और से गन्ना खरीदने वाला कोई नहीमिल रहा ऊपर से उद्योग मंत्री रेणु कुमारी का बयान दिल तोड़ देने वाला है.मंत्री साफ़ तौर पर कहते हैं कि सरकार की कोई योजना नए उद्योग स्थापित करने की नही है.बाहर से आने वाले उद्योगों को ही हम समर्थ दे सकते हैं.
एक बड़ा सवाल उठता है कि यदि सरकार की कोई योजना नए उद्योग के सम्बन्ध में नहीं है तो आखिर इस तरह की फसल कोई खरीदेगा क्यों?और ऐसी सरकार किस काम की जो किसानों को आत्महत्या करने से बचाने के उपाय न कर सके.
गन्ना किसान भुखमरी के कगार पर:सरकार ने पल्ला झाड़ा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 09, 2011
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