मुझे भी आने दो धरती पर

मैं भी दुनिया देखना चाहती हूँ
श्रृष्टि का कर्ज चुकाना चाहती हूँ
मेरे साथ यह नाइंसाफी क्यों ?
जन्म से पहले  खामोशी क्यों ?
कुदरत ने हमें मंजूर किया है
इंसानों ने भेद किया है
गंगा की प्रतीक हूँ मैं
निर्मल दान की छाया
मुझे भी आने दो धरती पर
लेकर मानव काया.

--देव नारायण साहा, 
संवाददाता,टाइम्स ऑफ इंडिया.
मुझे भी आने दो धरती पर मुझे भी आने दो धरती पर Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 25, 2010 Rating: 5

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