मधेपुरा जिले के सभी चारों विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आ चुके हैं और साथ ही सामने आया है अभी तक का सबसे बड़ा सच.कुल चार विधानसभा क्षेत्रों में तीन आलमनगर,बिहारीगंज और सिंघेश्वर के परिणाम एनडीए यानी नीतीश के पक्ष में रहे यानी विकास ही रहा मुद्दा ,पर एक सीट में ऐसा क्या हुआ कि विकास मुद्दा नही रहा और जदयू को मुंह की खानी पडी.जी हाँ,ये सच है कि मधेपुरा विधानसभा में राजद के प्रो० चंद्रशेखर ने जदयू के डा० रामेन्द्र कुमार यादव रवि को ११९४४ मतों से पराजित कर दिया.क्या यहाँ की जनता को विकास नही चाहिए? नहीं! चाहिए तो
जरूर पर अधिकाँश लोगों का मानना है कि यहाँ जदयू ने जो उम्मीदवार खड़ा किया उस पर से लोगों का भरोसा पहले ही उठ चुका है.यानी जदयू ने दागी उम्मीदवार को खड़ा कर दिया जिसने पहले भी विभिन्न पार्टियों से टिकट हासिल कर जीत दर्ज कराई थी पर विकास के मामले में लोगों की अपेक्षा पर खड़े नही उतर पाए,जबकि जीत हासिल किये राजद के उम्मीदवार प्रो० चंद्रशेखर की छवि किसान नेता के रूप में लोगों की नजर में साफ़ सुथरी है.यानी इस एक विधानसभा क्षेत्र में व्यक्तिगत छवि भारी पड़ा विकास के मुद्दे पर.प्रो० चंद्रशेखर ने मधेपुरा विधानसभा क्षेत्र से कुल ७२४८१ मत प्राप्त किये जबकि निकटतम प्रतिद्वंदी डा० रामेन्द्र कुमार रवि ने कुल ६०५३७ मत प्राप्त किये.कांग्रेस का परफोर्मेंस(राजेश रजनीश को ३२३२ मत) तो और भी घटिया रहा उससे बेहतर प्रदर्शन झामुमो (सुरेश कुमार ८३४५ मत) का रहा.
जरूर पर अधिकाँश लोगों का मानना है कि यहाँ जदयू ने जो उम्मीदवार खड़ा किया उस पर से लोगों का भरोसा पहले ही उठ चुका है.यानी जदयू ने दागी उम्मीदवार को खड़ा कर दिया जिसने पहले भी विभिन्न पार्टियों से टिकट हासिल कर जीत दर्ज कराई थी पर विकास के मामले में लोगों की अपेक्षा पर खड़े नही उतर पाए,जबकि जीत हासिल किये राजद के उम्मीदवार प्रो० चंद्रशेखर की छवि किसान नेता के रूप में लोगों की नजर में साफ़ सुथरी है.यानी इस एक विधानसभा क्षेत्र में व्यक्तिगत छवि भारी पड़ा विकास के मुद्दे पर.प्रो० चंद्रशेखर ने मधेपुरा विधानसभा क्षेत्र से कुल ७२४८१ मत प्राप्त किये जबकि निकटतम प्रतिद्वंदी डा० रामेन्द्र कुमार रवि ने कुल ६०५३७ मत प्राप्त किये.कांग्रेस का परफोर्मेंस(राजेश रजनीश को ३२३२ मत) तो और भी घटिया रहा उससे बेहतर प्रदर्शन झामुमो (सुरेश कुमार ८३४५ मत) का रहा.
आलमनगर विधानसभा क्षेत्र में विकास का मुद्दा हावी रहा और लोगों ने बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद (कांग्रेस) को यह जता दिया कि अब आप जैसों की दाल यहाँ गलने वाली नही है.इस क्षेत्र में जदयू के राजस्व मंत्री रहे नरेंद्र नारायण यादव को कुल ६४९६७ मत प्राप्त हुए जबकि निकटतम प्रतिद्वंदी लवली आनंद को मात्र २२६२२ वोट मिले यानी कि करारी हार ४२३४५ मतों से.
यही हाल बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र का भी रहा.जदयू के नीतीश सरकार में कृषि मंत्री रही रेणु कुमारी ने ७९०६२ मत लाकर निकटतम प्रतिद्वंदी राजद के प्रभाष कुमार को ४९९९७ मतों के विशाल अंतर से कराया जबकि यहाँ बाहुबली पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन (कांग्रेस)को तीसरे स्थान पर ला दिया.ई० प्रभाष कुमार को २९०६५ मत मिले जबकि पूर्व सांसद रंजीता रंजन को मात्र २७५५४ मत.
सिंघेश्वर सुरक्षित से जदयू के रमेश ऋषिदेव ने राजद के अमित भारती कि १५१९६ मतों से पराजित किया.रमेश ऋषिदेव को ७२२८२ और अमित भारती को ५७०८६ मत प्राप्त हुए.
इस परिणाम में एक बात और सामने आयी है कि जिले में कांग्रेस को लोगों ने सिरे से ख़ारिज कर दिया.राहुल का जादू यहाँ फ्लॉप शो साबित हुआ.लोगों का मानना था कि बिहार के १५ साल की दुर्दशा में कांग्रेस भी बराबर की जिम्मेवार थी और अब काँग्रेस लोगों को २० साल की दुर्दशा का पाठ पढ़ा कर बेवकूफ बना रही है.जो भी हो,एक बात और भी तय है कि इस बार लोगों ने सभी दागी प्रत्याशियों को बाहर का रास्ता तो दिखा ही दिया है.
परिणाम घोषित: दागी प्रत्याशियों को बाहर फेंका जनता ने
Reviewed by Rakesh Singh
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November 24, 2010
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GOOD LIDER.HOPE
ReplyDeleteअगर देखा जाए तो वैसे भी मधेपुरा में पार्टी पोलिटिक्स की बजाय पर्सनालिटी पोलिटिक्स हावी रही है...
ReplyDeleteतो इस लहजे से ये नतीजा कोई खास चौकाने वाला नहीं है. लेकिन अगर इसका दूसरा पक्ष देखे तो मधेपुरा के लिए ये कुछ हद तक ठीक नहीं हुआ..
जैसा की आपने कहा की जनता विकास चाहती है, और ऐसे में जब राज्य में आपके कट्टर विपक्षी दल की सरकार हो तो विकास की बाट जोहना थोडा घातक सिद्ध हो सकता है.
आशा करता हूँ की मैं गलत साबित होऊ !!
अगर देखा जाए तो वैसे भी मधेपुरा में पार्टी पोलिटिक्स की बजाय पर्सनालिटी पोलिटिक्स हावी रही है...
ReplyDeleteतो इस लहजे से ये नतीजा कोई खास चौकाने वाला नहीं है. लेकिन अगर इसका दूसरा पक्ष देखे तो मधेपुरा के लिए ये कुछ हद तक ठीक नहीं हुआ..
जैसा की आपने कहा की जनता विकास चाहती है, और ऐसे में जब राज्य में आपके कट्टर विपक्षी दल की सरकार हो तो विकास की बाट जोहना थोडा घातक सिद्ध हो सकता है.
आशा करता हूँ की मैं गलत साबित होऊ !!