इतिहास:-
वैसे तो विद्यार्थी अर्थ है -विद्या को अर्थी देने वाला ; लेकिन व्यावहारिक रूप में आजकल इसका अर्थ है -अर्थ उपार्जन के लिए विद्या का अध्ययन करने वाला !
उपस्थिति: -
प्राचीन काल में यह पदार्थ संसार के कुछ देशों भारत,यूनान,मिश्र आदि में पाया जाता था.आजकल ये संसार में प्राय: सभी देशों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.
अपरूप:- इसके दो अपरूप है.
१.छात्र २.छात्रा
प्राप्ति स्थान :-
सिनेमा प्रांगण , जलपान गृह , बाज़ार , मीना बाज़ार , स्कूल-कॉलेज ,विश्वविद्यालय आदि !
बनाने की विधि :-
किसी भी लड़के या लड़की को किताबे देकर ,स्कूल या कॉलेज में भेजकर विद्यार्थी के स्वरुप में परिणत किया जा सकता है . विद्यालय ,महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में विद्यार्थी के दोनों ही स्वरूप लाखों की संख्यां में तैयार किया जाता है.
भौतिक गुण :-
१ . साधारण विद्यार्थी चुस्त एवं चमकदार परतवाला तेज तर्रार चेतना युक्त पदार्थ है.
२.प्रशंसा के घोल में यह अत्यंत घुलनशील है.
३.अप्रिय बातों के ताप क्रम पर यह शीघ्र उबल जाता है.
४.यह फैशन का सुचालक तथा नैतिकता धर्म एवं सचारिता का कुचालक है.
रासायनिक गुण :-
१.यह बहुत क्रिया शील तत्व है.
२.चाय ,पान,सिगरेट ,पानमसाला एवं खैनी इसकी सक्रियता में उत्प्रेरक का कार्य करता है.
३.बाहरी परिस्थितियां अनुकूल होने पर विद्यार्थी के दोनों स्वरूप "छात्र एवं छात्रा" एवं दूसरे के नजदीक आ जाते है.
४.परीक्षा काल में इस पदार्थ पर गेस पेपर्स , पासपोर्ट कापियों तथा छोटे - छोटे चिट्ठों का एक अस्थायी आवरण चढ़ जाता है , जिसके कारण इसकी सक्रियता कुछ कम हो जाती है.
शुद्धिकरण :-
परीक्षा के छनना-पत्र द्वारा विद्यार्थी के तेज और मंद ग्रुप को अलग किया जाता है .मंद ग्रेड कोअलग किया जाता है .मंद ग्रेड को पुनः शुद्धिकरण के लिए पूरक परीक्षा रूपी छनना पत्र का प्रयोग किया जाता है.
पहचान:-
डिस्कोपेंट , बैगीशर्ट , मिनीस्कर्ट , जीन्स , स्टोनवाश , चमकदार समीज , चुड़ीदार कुर्ता पायजामा , नुकीले जुते तथा ऊँचे एड़ी के चप्पल , बाबकट अथवा मिथुन और धोनी कट रूखे बाल , कमर से नीचे ससरते हुए पेंट के एक जेब में रुमाल , दूसरे जेब से मोबाइल व चाभी-रिंग झांकता हुआ एंव पिछले जेब से कंघी तथा हाथ में एक मुडी हुई कॉपी विद्यार्थी की पहचान है.मुंह में पान तथा होठो पर लिपस्टिक, जेब में पर्स तथा उसमे माँ सरस्वती की जगह प्रेमी-प्रेमिका की तस्वीर इसकी निश्चित पहचान है.
उपयोग:-
वर्तमान समय में विद्यार्थियों की उपयोगिता संदिग्ध है.वैसे यह हड़ताल,राजनैतिक हंगामे तथा तोड़फोड़ के लिए काफी उपयोग में आता है.
-- राजन कुमार ,पुरानी बाजार,मधेपुरा
वैसे तो विद्यार्थी अर्थ है -विद्या को अर्थी देने वाला ; लेकिन व्यावहारिक रूप में आजकल इसका अर्थ है -अर्थ उपार्जन के लिए विद्या का अध्ययन करने वाला !
उपस्थिति: -
प्राचीन काल में यह पदार्थ संसार के कुछ देशों भारत,यूनान,मिश्र आदि में पाया जाता था.आजकल ये संसार में प्राय: सभी देशों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.
अपरूप:- इसके दो अपरूप है.
१.छात्र २.छात्रा
प्राप्ति स्थान :-
सिनेमा प्रांगण , जलपान गृह , बाज़ार , मीना बाज़ार , स्कूल-कॉलेज ,विश्वविद्यालय आदि !
बनाने की विधि :-
किसी भी लड़के या लड़की को किताबे देकर ,स्कूल या कॉलेज में भेजकर विद्यार्थी के स्वरुप में परिणत किया जा सकता है . विद्यालय ,महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में विद्यार्थी के दोनों ही स्वरूप लाखों की संख्यां में तैयार किया जाता है.
भौतिक गुण :-
१ . साधारण विद्यार्थी चुस्त एवं चमकदार परतवाला तेज तर्रार चेतना युक्त पदार्थ है.
२.प्रशंसा के घोल में यह अत्यंत घुलनशील है.
३.अप्रिय बातों के ताप क्रम पर यह शीघ्र उबल जाता है.
४.यह फैशन का सुचालक तथा नैतिकता धर्म एवं सचारिता का कुचालक है.
रासायनिक गुण :-
१.यह बहुत क्रिया शील तत्व है.
२.चाय ,पान,सिगरेट ,पानमसाला एवं खैनी इसकी सक्रियता में उत्प्रेरक का कार्य करता है.
३.बाहरी परिस्थितियां अनुकूल होने पर विद्यार्थी के दोनों स्वरूप "छात्र एवं छात्रा" एवं दूसरे के नजदीक आ जाते है.
४.परीक्षा काल में इस पदार्थ पर गेस पेपर्स , पासपोर्ट कापियों तथा छोटे - छोटे चिट्ठों का एक अस्थायी आवरण चढ़ जाता है , जिसके कारण इसकी सक्रियता कुछ कम हो जाती है.
शुद्धिकरण :-
परीक्षा के छनना-पत्र द्वारा विद्यार्थी के तेज और मंद ग्रुप को अलग किया जाता है .मंद ग्रेड कोअलग किया जाता है .मंद ग्रेड को पुनः शुद्धिकरण के लिए पूरक परीक्षा रूपी छनना पत्र का प्रयोग किया जाता है.
पहचान:-
डिस्कोपेंट , बैगीशर्ट , मिनीस्कर्ट , जीन्स , स्टोनवाश , चमकदार समीज , चुड़ीदार कुर्ता पायजामा , नुकीले जुते तथा ऊँचे एड़ी के चप्पल , बाबकट अथवा मिथुन और धोनी कट रूखे बाल , कमर से नीचे ससरते हुए पेंट के एक जेब में रुमाल , दूसरे जेब से मोबाइल व चाभी-रिंग झांकता हुआ एंव पिछले जेब से कंघी तथा हाथ में एक मुडी हुई कॉपी विद्यार्थी की पहचान है.मुंह में पान तथा होठो पर लिपस्टिक, जेब में पर्स तथा उसमे माँ सरस्वती की जगह प्रेमी-प्रेमिका की तस्वीर इसकी निश्चित पहचान है.
उपयोग:-
वर्तमान समय में विद्यार्थियों की उपयोगिता संदिग्ध है.वैसे यह हड़ताल,राजनैतिक हंगामे तथा तोड़फोड़ के लिए काफी उपयोग में आता है.
-- राजन कुमार ,पुरानी बाजार,मधेपुरा
व्यंग-विद्यार्थी के लक्षण
Reviewed by Rakesh Singh
on
November 14, 2010
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वह भाई वह....आपने तो वाकई में कमाल का लिखा है....
ReplyDeleteमुझे तो अपने स्छूल के दिनों की यादें ताज़ा होती नज़र आई....