कुमार आशुतोष /१३ नवंबर २०१०
आज सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य देने के साथ ही चार दिन चलने वाले इस महापर्व का समापन हो गया.सुबह के अर्ध्य की तुलनात्मक अधिक महत्ता देते हुए श्रद्धालुओं ने पूरी निष्ठां के साथ भगवान भास्कर के निकलने तक पानी में खड़े रहकर नमन किया.मधेपुरा के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं तथा व्रतियों का जुटना रात के २-३ बजे से ही प्रारम्भ हो गया था.जिन श्रद्धालुओं का चढ़ने वाला डालारात में घाट पर ही था उनके लोग इसकी रखवाली में रात घाट पर ही
बिताये.मान्यता है की शाम में चढ़ने वाला ठेकुआ सुबह से पहले ही बदल दिया जाता है.चढावा में आटे का गुन्ना-मुन्ना तथा चावल के आटे का भुसवा भी चढाने की परंपरा है.सूर्य दिखने के बाद व्रतियों के सूप में लोगों ने अर्ध्य प्रदान कर मंगल कामना की.मधेपुरा में भीड़ वाले घाटों पर पुलिस भी सहायता के लिए मुस्तैद दिखी.पर्व समाप्ति के बाद मांस तथा मछली बाजार में लोगों की बड़ी संख्यां नजर आई जिन्होंने दिवाली तथा छठ में अपने को नियंत्रित रखा था.
बिताये.मान्यता है की शाम में चढ़ने वाला ठेकुआ सुबह से पहले ही बदल दिया जाता है.चढावा में आटे का गुन्ना-मुन्ना तथा चावल के आटे का भुसवा भी चढाने की परंपरा है.सूर्य दिखने के बाद व्रतियों के सूप में लोगों ने अर्ध्य प्रदान कर मंगल कामना की.मधेपुरा में भीड़ वाले घाटों पर पुलिस भी सहायता के लिए मुस्तैद दिखी.पर्व समाप्ति के बाद मांस तथा मछली बाजार में लोगों की बड़ी संख्यां नजर आई जिन्होंने दिवाली तथा छठ में अपने को नियंत्रित रखा था.
उगते सूर्य को अर्ध्य के साथ संपन्न हुआ आस्था का महापर्व
Reviewed by Rakesh Singh
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November 13, 2010
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