रविवार विशेष-कविता- Arrange Marriage

Arrange Marriage गुड्डे-गुड़ियों का खेल है.
देखा जाए तो बस पैसे का यह खेल है.
        इस game में हर बेटे का बाप शामिल होना चाहता है.
         क्योंकि भैया हर कोई पैसा कमाना चाहता है.
जिन्हें होता है जिंदगी संग-संग बिताना 
उन्हें तो होता है बस background में शर्माना 
        इस game में parents का lead role है
        क्योंकि arrange marriage में भैया पैसे का मोल-जोल है.
हर मांग पूरी करनी पड़ती है,हर बात माननी पड़ती है.
तब ही बेटे वालों की जेबें भरती है.
      यह एक business बन गया है आजकल 
      लड़के बिकाऊ है जैसे market में हो भिन्डी और परवल.
इस business में loss नहीं हमेशा gain है.
arrange marriage में Dowry ही main है.
    और आज मैं कहना चाहती हूँ,
    इस business को बढ़ावा देने वालों,हम सबको तुमपे shame है.
                                         - प्रीति, मधेपुरा -
रविवार विशेष-कविता- Arrange Marriage रविवार विशेष-कविता- Arrange Marriage Reviewed by Rakesh Singh on October 10, 2010 Rating: 5

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