मधेपुरा में पत्रकारिता के इतिहास को अगर याद किया जाय तो पहला स्पष्ट नाम श्री लक्ष्मी ना० झा का आता है जिन्होंने वर्ष १९३४-३५ में नेशनल हेराल्ड में अपने लेखों से एक अलग पहचान बनाई थी. फिर उसके बाद के दौर में उमेश प्र० सिंह, महावीर प्र० मंडल वीर (सर्चलाइट), विमल सर्राफ, विन्ध्यनाथ झा, हेरम्भनाथ ठाकुर (इंडियन नेशन), काशीनाथ झा आदि का नाम आता है. वर्तमान समय में जिले में चर्चित पत्रकारों की सूची में डा० देवाशीष बोस, श्री प्रदीप कुमार झा, श्री सुभाष सुमन, श्री मनीष कुमार सहाय वर्मा, श्री रूद्र नारायण यादव, श्री रणधीर कुमार, श्री देवेन्द्र कुमार,श्री बंटी कुमार, श्री सुलेन्द्र कुमार आदि का नाम प्रमुखता से लिया जाता है.पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है. जर्नलिज्म अगर लोकतंत्र से हट जाय तो निश्चित ही समाज में चारों तरफ अराजकता फ़ैल जाय. एक पत्रकार से हमेशा से यह उम्मीद की जाती है कि वह ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करे ताकि स्वस्थ समाज और मजबूत देश का निर्माण हो सके.
पर जो भी हो, आज बुद्धीजीवियों का मानना है कि सबसे ज्यादा गिरावट यदि किसी क्षेत्र में आई है तो वो है पत्रकारिता का क्षेत्र. इसके लिए दोषी कौन हैं, ये तो बहस का मुद्दा है पर इतना तय है कि पत्रकारिता की गिरती स्थिति से लोगों का भरोसा इस चौथे स्तंभ से डगमगाने लगा है.या यूं कहा जाय कि जिले में चौथा स्तंभ ही डगमगा गया है.परन्तु इस हालात में भी चौथे स्तंभ को कुछ पत्रकारों ने थाम कर मजबूती प्रदान की है.और इनमे से एक महत्वपूर्ण नाम है-वर्तमान में जिले में दैनिक जागरण की कमान संभाले उम्दा लेख लिखने में माहिर-श्री प्रदीप कुमार झा.
१९ जुलाई १९५९ को जन्मे श्री प्रदीप कुमार झा अर्थशास्त्र से एम०ए० हैं. पुलिस सेवा की नौकरी का लक्ष्य रखे श्री झा की रुचि पत्रकारिता में फूफा श्री वी झा के तीन-तीन अखबार पढ़ने की आदत को देखकर हुई.दूसरा प्रोत्साहन इन्हें तब मिला जब इनके जन्मदिन पर ही राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका ‘योजना’ में इनका आलेख ‘जनसंख्यां का लागत विचार’ १९ जुलाई १९७९ को प्रकाशित हुआ.
फूफा के भाई जो अमेरिका में रहते थे उनसे भी विभिन्न विषयों पर चर्चा करने से ज्ञान में बढोतरी हुई.लगातार अध्ययन करने की आदत और विषय अर्थशास्त्र रहने के कारण स्तरीय आलेख लिखने में इन्हें कभी परेशानी नही हुई.और फिर १ जनवरी १९८५ का वो महत्वपूर्ण दिन भी आ गया जब एक समय का चर्चित दैनिक अखबार ‘पाटलिपुत्र टाइम्स’ इसी दिन से प्रारम्भ हुआ और इन्होने एक सक्रिय पत्रकार के रूप में पाटलिपुत्र टाइम्स में योगदान देना शुरू किया. और यहाँ से इन्होने मुड़कर पीछे नही देखा. नवभारत टाइम्स, राष्ट्रीय सहारा, आर्यावर्त, आउटलुक, शिखरवार्ता आदि कुछ ऐसे पत्र-पत्रिकाओं के नाम हैं जिनमे श्री झा के आलेख तथा समाचारों ने सुर्खियाँ बटोरी.बिहार में जब दस वर्ष पूर्व दैनिक जागरण ने अपना कदम रखा तो श्री झा को इस अखबार के लिए काम करने का न्यौता मिला.श्री प्रदीप कुमार झा ने मधेपुरा में इस अखबार को ऊँचाई पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
फूफा के भाई जो अमेरिका में रहते थे उनसे भी विभिन्न विषयों पर चर्चा करने से ज्ञान में बढोतरी हुई.लगातार अध्ययन करने की आदत और विषय अर्थशास्त्र रहने के कारण स्तरीय आलेख लिखने में इन्हें कभी परेशानी नही हुई.और फिर १ जनवरी १९८५ का वो महत्वपूर्ण दिन भी आ गया जब एक समय का चर्चित दैनिक अखबार ‘पाटलिपुत्र टाइम्स’ इसी दिन से प्रारम्भ हुआ और इन्होने एक सक्रिय पत्रकार के रूप में पाटलिपुत्र टाइम्स में योगदान देना शुरू किया. और यहाँ से इन्होने मुड़कर पीछे नही देखा. नवभारत टाइम्स, राष्ट्रीय सहारा, आर्यावर्त, आउटलुक, शिखरवार्ता आदि कुछ ऐसे पत्र-पत्रिकाओं के नाम हैं जिनमे श्री झा के आलेख तथा समाचारों ने सुर्खियाँ बटोरी.बिहार में जब दस वर्ष पूर्व दैनिक जागरण ने अपना कदम रखा तो श्री झा को इस अखबार के लिए काम करने का न्यौता मिला.श्री प्रदीप कुमार झा ने मधेपुरा में इस अखबार को ऊँचाई पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
श्री झा के कई आलेख चर्चा में रहे हैं.एक प्रमुख लेख जो चमगादड़ के अन्य देशों में तस्करी तथा इसके इंडोनेशिया आदि देशों में विभिन्न उपयोग पर आधारित था, ने पूरे देश मे सुर्खियां बटोरी थी चूंकि इस विषय पर श्री झा ने ही पहली बार लेख लिखा था तथा इसके बाद ढेर सारे पत्र-पत्रिकाओं में इस विषय पर लेख छपे थे. उदीयमान संवाददाता के रूप में प्रतिष्ठित नवभारत टाइम्स ने श्री प्रदीप कुमार झा को तीन बार चयनित किया था.
मधेपुरा टाइम्स के प्रबंध संपादक राकेश कुमार सिंह से पत्रकारिता के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में उसी को आना चाहिए जो घरेलू रूप से संपन्न हो.तब ही ईमानदारी को बरकरार रखा जा सकता है. पत्रकारिता क्या है, मधेपुरा में बहुत से लोग नही जानते हैं.अपने लेखनशैली के बारे में उन्होंने बताया कि बहुत ही बुद्धिमानी से लिखना पड़ता है.वे किसी पर लेखनी से सीधा प्रहार नही करते बल्कि व्यंग के माध्यम से प्रहार करते हैं.अखबार के स्थानीय हो जाने के कारण मुश्किलें बढ़ गयी हैं,बहुत ज्यादा समझौता करना होता है.पर गलत को गलत ही लिखते हैं चाहे सीधे तौर पर नहीं लिख सके. आज खबर में सकारात्मक पहलू को उभारने की आवश्यकता है. नई पीढ़ी के इस क्षेत्र में कम आने से वे दुखी हैं.उनका मानना है कि अब जबकि नियमित रूप से लिखे जाने की आवश्यकता है, मिहनती पत्रकार की कमी हो गयी है.
मानव जीवन में गिरते सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों के लिए आधुनिकता और बदलते परिवेश को जिम्मेदार मानते हैं.वे कहते हैं कि व्यक्ति अगर झूठ से परहेज करें मानव का कल्याण हो सकता है.
एक सफल पत्रकार होने के गुण: श्री प्रदीप कुमार झा का मानना है कि ईमानदारी और निरंतर अध्ययन से ही कोई अच्छा पत्रकार बन सकता है.अपने को नवीनतम जानकारी से अपडेट करते रहना चाहिए.ईमानदारी में बेईमानी की तुलना में आर्थिक लाभ भी ज्यादा हैं.समाज में सकारात्मक छवि से हर कार्य आसान हो जाता है और आप एक सफल जिंदगी जीते हैं.जीवन में बहुत सारी कठिनाईयां आती हैं,पर ईमानदार छवि व्यक्ति को हर कठिनाई से उबार देती है.
मधेपुरा टाइम्स ‘द बेस्ट ऑनलाइन अखबार’ –श्री झा मधेपुरा टाइम्स को ‘द बेस्ट ऑनलाइन अखबार’ मानते है.जिसकी वजह वे बताते हैं कि ये एक खास जगह से सम्बंधित है,जिससे खास कर बाहर रहने वाले लोगों को इससे काफी लगाव हो गया है.
मधेपुरा टाइम्स के पाठकों को सन्देश देते हुए श्री प्रदीप कुमार झा कहते है कि कोई भी काम समर्पण भाव से करें,जीवन में सफलता अवश्य ही मिलेगी.
मधेपुरा टाइम्स की ओर से श्री प्रदीप कुमार झा को जीवन के हर क्षेत्र में निरंतर सफल होते रहने के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ.
प्रदीप कुमार झा- डगमगाते चौथे स्तंभ को दी मजबूती
Reviewed by Rakesh Singh
on
August 31, 2010
Rating:
UNCLE GOOD MORNING
ReplyDeleteNICE LOOK
Wow...Puddu uncle....you r looking awesome.......nice to see u here.......heartfelt wishes to you as u r one of our very close family. God bless. Dhruba Ghosh.
ReplyDeleteवाह आज देखा बहुत अच्छा लगा
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