रूद्र नारायण यादव/१४ अगस्त २०१०
मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के कल के राजगीर दौरे में बिहार के सभी जिलों को जल्द ही सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की घोषणा ने मधेपुरा के सूखाग्रस्त किसानों में उम्मीद की किरण तो अवश्य ही जगा दी है.मालूम हो कि पिछले पखवारे राज्य के २८ जिलों को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित किया गया था,जिसमे मधेपुरा शामिल नही था.जबकि मधेपुरा जिले में सूखा का
असर काफी ज्यादा है.यहाँ के किसानों के सामने कभी तो बाढ़ कभी सूखा त्रासदी बनकर सामने आ रही है.प्रकृति इस तरह दगा देगी मधेपुरा के किसानों ने कभी नही सोचा था.ऐसे में अगर सरकार भी कोई मदद नही करती है तो किसानों के सामने भुखमरी की स्थिति आ जायेगी.वर्ष २००८ में आई बाढ़ ने फसलों को बुरी तरह
बर्बाद किया,उससे अभी तक उबर नही पाए थे कि इस साल अनावृष्टि ने दाने-दाने को मुहताज कर दिया.जमीनें दरक रही थी किसान अपने सर पर हाथ लिए किस्मत को कोस रहे थे.किसानो के लोकप्रिय नेता चंद्रशेखर यादव ने मधेपुरा को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित नही करने की स्थिति में आंदोलन करने की चेतावनी दी थी.परन्तु मुख्यमंत्री की इस घोषणा कि अन्य बचे दस जिलों को भी जल्द ही सूखाक्षेत्र घोषित किया जायेगा से थोड़ी राहत यहाँ के किसानों को जरूर मिली है.अब देखना है कि कब तक सरकार इसकी विधिवत घोषणा करती है और राहत कब तक सही मायने में लोगों तक पहुँच पाती है या फिर बाढ़ राहत की तरह ये राहत भीजुड़े अधिकारियों,कर्मचारियों और दलालों का निवाला बन जाती है.
असर काफी ज्यादा है.यहाँ के किसानों के सामने कभी तो बाढ़ कभी सूखा त्रासदी बनकर सामने आ रही है.प्रकृति इस तरह दगा देगी मधेपुरा के किसानों ने कभी नही सोचा था.ऐसे में अगर सरकार भी कोई मदद नही करती है तो किसानों के सामने भुखमरी की स्थिति आ जायेगी.वर्ष २००८ में आई बाढ़ ने फसलों को बुरी तरह
बर्बाद किया,उससे अभी तक उबर नही पाए थे कि इस साल अनावृष्टि ने दाने-दाने को मुहताज कर दिया.जमीनें दरक रही थी किसान अपने सर पर हाथ लिए किस्मत को कोस रहे थे.किसानो के लोकप्रिय नेता चंद्रशेखर यादव ने मधेपुरा को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित नही करने की स्थिति में आंदोलन करने की चेतावनी दी थी.परन्तु मुख्यमंत्री की इस घोषणा कि अन्य बचे दस जिलों को भी जल्द ही सूखाक्षेत्र घोषित किया जायेगा से थोड़ी राहत यहाँ के किसानों को जरूर मिली है.अब देखना है कि कब तक सरकार इसकी विधिवत घोषणा करती है और राहत कब तक सही मायने में लोगों तक पहुँच पाती है या फिर बाढ़ राहत की तरह ये राहत भीजुड़े अधिकारियों,कर्मचारियों और दलालों का निवाला बन जाती है.
उम्मीद जगी मधेपुरा के सूखापीडित किसानों में
Reviewed by Rakesh Singh
on
August 14, 2010
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