'सरकार' आए -बहार आयी

 
'सरकार'  हवा में 
जोरगामा  से लौटकर पंकज भारतीय/२० मई २०१०
विश्वास  यात्रा के तीसरे चरण में २० मई को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मधेपुरा जिला के मुरलीगंज प्रखंड के जोरगामा गांव पहुंचे.विश्वास यात्रा का उद्द्येश्य विकास के जमीनी हकीकत से रू-बरू होना था.श्रीमान 'सरकार' रू-बरू हुए और आश्वस्त भी हुए.आश्वस्त इसलिए कि  पिछले १५ दिनों से पूरा जिला प्रशासन जोरगामा  के 'मेक-अप' में दिन रात एक किये हुए था.'सरकार' खुश हुए यह विश्वास यात्रा का एक पहलू है और 'सरकार' के आश्वस्त होने के पीछे के खेल में सच्चाई आज भी सच से कोसों दूर है,यह विश्वास यात्रा का दूसरा पहलू है
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     विश्वास यात्रा का शोर सुनकर मुझे भी जिज्ञासा हुई जोरगामा  गांव के बारे में जानने की.महज चार किलोमीटर की दूरी पर मेरा भी गांव है और मै इस इलाके की सामाजिक-आर्थिक-भौगोलिक स्थिति से भली-भाँती परिचित हूँ.आज भी मैं २००८ की कोशी त्रासदी के खौफनाक मंजर को नहीं भूला  हूँ और आज भी मझे याद है कि  बाढ  के बाद सरकारी कर्मचारियों  ने राहत  के नाम पर पीड़ित लोगों का किस तरह से आर्थिक दोहन किया है.बाढ़ के बाद इस इलाके के सरकारी कार्यालयों की यह स्थिति है कि  भ्रष्टाचार का सेंसेक्स सारे रिकार्ड तोड़ चुका है और अफसरों की मनमानी कोशी त्रासदी से ज्यादा दु:खद और भयावह है.ऐसे में सवाल जेहन में उठना लाजिमी था की ऐसा क्या हुआ कि दूरदर्शी मुख्यमंत्री ने जोरगामा पंचायत को अपने महत्वाकांक्षी विश्वास यात्रा का हिस्सा बनाया.क्या जोरगामा पंचायत की सचमुच  तकदीर बदल चुकी है? या सरकार राजनैतिक भ्रम के शिकार हुए हैं?   ढेर सारे सवालों को जेहन में लिए हुए मैं भी जोरगामा पंचायत पहुंचा.मुख्यमंत्री के स्वागत में भव्य तैयारियां की गयी थी.सड़कें  चकाचक थे और जिन रास्ते से  मुख्यमंत्री का गुजरना तय था उन रास्तों को दुरुस्त कर दिया गया था.कई दिनों से गांव में अफसर कैम्प कर रहे थे और लोगों को मुख्यमंत्री के संभावित प्रश्न और उसके सटीक उत्तर की जानकारियां दी गयी थी.अफसर याचक की मुद्रा में थे और आम जनता हैरान थी.हमने जब एक महादलित बस्ती का रूख किया तो रास्ते में ७५ वर्षीय शिवजी यादव से मुलाक़ात हुई.कुरेदने पर कहा "इस उम्र में भी वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिला है,शायद मुख्यमंत्री के आने पर चमत्कार हो जाये." महादलित बस्ती की नन्हकी देवी अधूरे इंदिरा आवास में छप्पर डाल  कर रह रही है.कहती है "जत्ते पैसा मिललै घर बनबै में लगा दलिये,आधा पैसा त घूस में चैल गैले'.कारी ऋषिदेव  ने कर्ज लेकर  बेटी सीमा को एक साल पहले ब्याही और आज भी मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में मिलने वाली सहायता राशि का इन्तजार कर रही है.अकाली ऋषिदेव  की भैंस २००८ के बाढ़ में बह गयी और आजतक उसे पशुक्षति  का मुवावजा नहीं मिला है.बस्ती की नगीना खातून और पनिया देवी गांव की महिला मुखिया से असंतुष्ट है और कहती है कि वह तो बड़े लोगों के इशारे पर काम करती है.वह सिर्फ हस्ताक्षर करना जानती है.
    माननीय नीतीश जी ने मंच से कहा-" दूर से भी कोई आवाज आती है तो हम सुन लेते हैं,उस पर विचार करते है."उम्मीद है कि 'सरकार' के कानों तक शिवजी यादव,कारी  देवी, अकाली ऋषिदेव,नन्हकी देवी जैसे दबे-कुचले की भी आवाज पहुंचेगी, जो उनके विश्वास यात्रा का हिस्सा  नहीं बन सके.'सरकार' की मंशा पर सवाल खड़ा करना हमारा मकसद नहीं है.लेकिन, अच्छा तो यह होता कि पंचायत आकर किन गलियों से गुजरना है,या किन लोगों से मिलना है यह तय सरकारी पदाधिकारी नहीं बल्कि 'सरकार' स्वयं करते तो 'सच' और 'मेक-अप' का खुलासा हो जाता.फिलहाल यह विश्वास यात्रा कम और प्रायोजित यात्रा ज्यादा नजर आई.सच तो सच ही होता है और यह अनायास ही कभी-कभी जुबां से निकल जाया करती है.विश्वास यात्रा के मंच से सच का बयां मधेपुरा के एसडीएम गोपाल मीना (आईएएस )की जुबान से हो ही गया.श्री मीना ने कहा " आपके आने की खबर आई तो हमारे विकास में जो कमियां थी उसको पूरा कर लिया गया.माननीय मुख्यमंत्री जी से आग्रह है कि आप ज्यादा से ज्यादा इस तरह की यात्राएं करें ताकि और जगहों का भी विकास हो सके." मंच से जब श्री मीना अपनी बात कह रहे थे तो श्री मान 'सरकार'मंद मंद मुस्कुरा रहे थे.ईमानदार,युवा आईएएस की बात और 'सरकार' की मुस्कराहट के क्या मायने है यह आप भी बखूबी समझ सकते है.
 
जोरगामा गांव में विकास यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री
हुजूर हमारी भी सुन लीजिए
  
स्वागत है श्री मान आपका
 
 सरकार ऊँचा सुनती है 
अधूरी इंदिरा आवास
 
सरकार के इन्तजार में
 
कोई तो नहीं सुनी, आप भी तो सुन लीजिए 
 
जोरगामा आँगन बाड़ी केन्द्र...कल की बात छोड़िये,आज पूरी तैयारी है...
'सरकार' आए -बहार आयी 'सरकार' आए -बहार आयी Reviewed by Rakesh Singh on May 20, 2010 Rating: 5

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