रूद्र नारायण यादव/११ अप्रैल 2010
वर्ष 2005 में बी० एन० मंडल वि० वि० ने बिना पद स्वीकृत किये तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की नियुक्ति का विज्ञापन निकाल दिया तथा तृतीय वर्ग के कर्मचारियों के लिए 300 रू० के पोस्टल आर्डर तथा चतुर्थ वर्गीय के लिए 250 रू० के पोस्टल आवेदन के साथ लिया था लेकिन 5 वर्ष गुजरने के बाद भी नियुक्ति की कार्रवाही नहीं हुई तो
इस मामले को भाजपा के विधायक कामेश्वर चौपाल ने विधानसभा में उठा दिया,तब जाकर सरकार सख्त हुई
और जांच कर वि० वि० के पदाधिकारी औए कर्मचारी पर मुकदमा दर्ज करने की तैयारी की बात कर रही है........
मालूम हो की मानव संसाधन विकास विभाग की अनुमति के बगैर ये सब किया गया था,इसलिए बहाली तो हुई नहीं और पोस्टल आर्डर के पैसे कहाँ गए,इसका भी कोई अता-पता नहीं है और न ही वि० वि० इसका हिसाब व जानकारी विभाग को दिया है.
हैरत की बात तो यह है कि 2005 में निकाले गए विज्ञापन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई,न ही नियुक्ति कि गई,फिर भी वर्तमान कुलपति डा० आर० पी० श्रीवास्तव भी तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी कि नियुक्ति हेतु विज्ञापन निकाल कर पोस्टल आर्डर के साथ वर्ष २००९ में आवेदन ले चुके है,वैसे ये नियुक्ति वि० वि० क्षेत्र के महाविद्यालयों के लिए करने कि बात कर रहें है.देखना दिलचस्प होगा कि ये नियुक्ति होती है या 2005 के तरह फाइलों में सिमट कर रह जाता है.
मंडल वि० वि० में लाखों का पोस्टल आर्डर घोटाला-सरकार सख्त
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April 11, 2010
 
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