इसकी स्थिति जानवर से भी बदतर है.जानवर को तो चरने या किसी भी रूप में कभी-२ खुला भी छोड़ा जाता है,पर सुनीता को देखने वाला या इसका इलाज करने वाला कोई नहीं.10 साल की सुनीता बिहारीगंज प्रखंड के राजगंज पंचायत के अंतर्गत बैजनाथपुर गाँव की है.
बचपन में ही तेज बुखार के बाद इसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया.घर वालों ने सामर्थ भर इलाज कराया,पर गरीबी आड़े आ गई.
दादी का कहना है की सरकार से कोई मदद नहीं मिली.रस्सियों में बाँध कर रखा जा रहा है सुनीता को.शायद इसे इन्तजार है किसी मसीहा का जो आये और इसकी नरक से भी बदतर जिन्दगी को इसका इलाज कराकर जीने लायक बना सके.
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बचपन में ही तेज बुखार के बाद इसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया.घर वालों ने सामर्थ भर इलाज कराया,पर गरीबी आड़े आ गई.
दादी का कहना है की सरकार से कोई मदद नहीं मिली.रस्सियों में बाँध कर रखा जा रहा है सुनीता को.शायद इसे इन्तजार है किसी मसीहा का जो आये और इसकी नरक से भी बदतर जिन्दगी को इसका इलाज कराकर जीने लायक बना सके.
जकड़ा बचपन-जिम्मेवार कौन ?
 Reviewed by Rakesh Singh
        on 
        
March 30, 2010
 
        Rating:
 
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March 30, 2010
 
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