यहाँ कौन है तेरा, मुसाफिर जाएगा कहाँ....

मधेपुरा का रेलवे स्टेशन. मुसाफिर आते हैं और थोड़ी देर रूककर चले जाते हैं. पर इस मुसाफिर के साथ निश्चित ही बदकिस्मती है. मुसाफिर पिछले करीब एक महीने से यहाँ पड़ा है. कभी प्लेटफॉर्म पर अपना मनहूस दिन गुजारता है तो कभी स्टेशन परिसर में बाहर अपनी काली रातें. पहले मांग कर खा लेता था, पर शायद इसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि वह एक संवेदनहीन समाज में जी रहा है, जहाँ लोग अपने शरीर का मैल भी देने से पहले कई बार विचारते हैं.
      मुसाफिर कहाँ से आया और इसे कहाँ जाना था कोई नहीं जानता. रेलवे परिसर में भूख से अपनी मौत का इन्तजार भले यह कर रहा हो, पर रेल प्रशासन इसकी सुधि लेने एकबार भी नहीं आया. शायद रेलवे सिर्फ अपने यात्री का ध्यान थोड़ा बहुत रखती है. ये अनाथ, बीमार और भूख से बिलबिलाता व्यक्ति ट्रेन का टिकट तो नहीं कटा सका पर इसका ऊपर का टिकट प्रशासन और समाज की संवेदनहीनता की वजह से शायद जल्द कटने वाला है.
यहाँ कौन है तेरा, मुसाफिर जाएगा कहाँ.... यहाँ कौन है तेरा, मुसाफिर जाएगा कहाँ.... Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 21, 2013 Rating: 5

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