|वि० सं०|24 सितम्बर 2013|
कुमारखंड के भतनी गांव की 35 गुंजन देवी की जान बच
गई. वैसे आरोप के मुताबिक मधेपुरा के सदर अस्पताल ने गुंजन की जान लेने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी
थी. गुंजन देवी ने गांव में ही बीती रात एक बच्चे को जन्म दिया था पर ब्लीडिंग
ज्यादा होने की वजह से गुंजन को परिजन मधेपुरा की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ
डा० नायडू कुमारी के पास लाये थे. गुंजन को खून की आवश्यकता हुई तो डा० नायडू ने
गुंजन के परिजन को B+ve लाने सदर अस्पताल
मधेपुरा भेज
दिया. पर गुंजन के भाई रूपेश कुमार को अस्पताल में ब्लड बैंक में
प्रभार में काम रहे लड़के ने B+ve
के बदले O+ve पकड़ा दिया.
परिजन: आखिर बच गई रोगी की जान |
निजी
क्लिनिक की चिकित्सिका की सजगता से उस समय रोगी की जान बच गई जब डा० नायडू ने फिर
से अस्पताल के ब्लड ग्रुप की जांच की. परिणाम चौंकाने वाले थे. रोगी को सदर
अस्पताल में दूसरे ग्रुप का ब्लड चढ़ाने के लिए दे दिया गया था. रोगी गुंजन के भाई
रूपेश का यह भी आरोप है कि वह जब O+ve
को लौटाकर B+ve मांगने गया तो ब्लड
बैंक का काम देख रहे विजय कुमार ने शराब पी रखी थी और उसे धक्का मारकर निकाल दिया.
उसके
बाद तो परिजनों ने सदर अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया. मौके की नजाकत भांप कर
सिविल सर्जन ने सबों को समझाबुझा कर शांत किया और फिर से रोगी के लिए रूपेश का ही
लिया गया B+ve दिया गया. तब जाकर रोगी
की जान बच सकी.
जो भी हो,
मामला अत्यंत गंभीर प्रकृति का है और जांच की आवश्यकता है. यदि सदर अस्पताल के
कर्मचारी इसमें दोषी हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए.
सदर अस्पताल की लापरवाही से महिला की जान जाते-जाते बची
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 24, 2013
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