नवोदय विद्यालय जातीय राजनीति का अड्डा: शिक्षिका के साथ अभद्रता

शशिप्रभा: मानसिक शोषण की हुई शिकार
|वि० सं०|03 अगस्त 2013|
कभी जिले का गौरव रहा मनहरा सुखासन स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय आज कुछ शिक्षकों की राजनीति के कारण अपनी चमक खो बैठा है. जातीय राजनीति इन दिनों इस विद्यालय में चरम पर है और स्थानीय एक-दो शिक्षकों ने बाहर के कुछ शिक्षकों के साथ मिलकर गुट बना लिया है और नवोदय को अपनी बपौती संपत्ति की तरह देख रहे हैं. बताया जाता है कि वर्तमान नवोदय प्रिंसिपल आंध्रप्रदेश के हैं जो एक बेहद कमजोर प्रशासक हैं. और बस इसी कमजोरी का नाजायज लाभ उठा रहे हैं कुछ शिक्षक.
      इस घटिया राजनीति की एक बानगी नवोदय विद्यालय के अंतर्गत चले रहे नवोदय बाल निकेतन की बदहाली है. खबर है कि बाल निकेतन की एक शिक्षिका शशिप्रभा का इससे जुड़े तीन-चार शिक्षकों ने इतना मानसिक शोषण किया कि शशिप्रभा ने विद्यालय ही छोड़ दिया. कैंपस में ही रह रही इस शिक्षिका के आवास पर पहुँच कर इन राष्ट्रनिर्माताओं ने उनके साथ अभद्र व्यवहार भी किया. इतना ही नहीं इनके काम  छोड़ने के बाबजूद इनपर दवाब डालकर दो महीने का पेमेंट भी रख लिया. सूत्र बताते हैं कि नवोदय से जुड़े जिले के ही एक दबंग शिक्षक ने दो-तीन अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर इस नवोदय बाल निकेतन में लाखों में जमा रूपये के घोटाले की साजिस कर रहे हैं जिसके तहत वे इस बाल निकेतन को बंद कर देना चाहते हैं. जबकि आठ साल से इस विद्यालय की शिक्षिका शशिप्रभा बताती हैं कि ये विद्यालय गाँव और आसपास के बच्चों के लिए खोला गया था जिसको नो प्रॉफिट-नो लॉस पर चलाने की योजना थी.
      पाठकों को बता दें कि नवोदय बाल निकेतन की संगीत शिक्षिका भी हैं और जिला प्रशासन समेत अन्य कई कार्यक्रमों में अपनी आवाज का जादू बिखेर चुकी हैं. पर जात-पात की घटिया राजनीति करने वाले शिक्षकों को किसी का गुण भी दोष नजर आने लगता है.
      जब जिले के लगभग सभी विभाग भ्रष्टाचार की चपेट में है तो फिर ये नवोदय विद्यालय ही क्यूं अछूता रहे. जात-पात की राजनीति करने वाले शिक्षक यहाँ के बच्चों को भी इसी तरह का संस्कार देंगे ताकि अँधेरा कायम रहे.
नवोदय विद्यालय जातीय राजनीति का अड्डा: शिक्षिका के साथ अभद्रता नवोदय विद्यालय जातीय राजनीति का अड्डा: शिक्षिका के साथ अभद्रता   Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 03, 2013 Rating: 5

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