3 बार युद्ध लड़े सैन्य अधिकारी को अपमानित किया थानाध्यक्ष ने

|वि० सं०|07 जुलाई 2013|
भारतीय वायुसेना से अवकाश प्राप्त जिले में शंकरपुर थानाक्षेत्र में मधेली बाजार के महेंद्र नारायण यादव की देश के लिए उपलब्धियां कम नहीं है. सन 1962 में चीन के साथ भारत के युद्ध में शामिल हुए तो वर्ष 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में भारत की जीत के गवाह भी बने. 1999 में कारगिल युद्ध में भाग लेकर विजयी मुस्कान लेकर उन्होंने अवकाश ग्रहण किया तो लगा कि देश के लिए इतना किया तो अब अपनी माटी पर तो इज्जत मिलेगी ही.
      पर जिस दिन से मसालेदार मुम्बईया फिल्म के दारोगा जैसे जीव से जब उनका सामना हुआ तब से वे सदमे में हैं. उससे पहले दो पुत्रों को सफलता की राह दिखाकर उन्होंने एक को आईएएस अधिकारी बना दिया था और दूसरे को एक योग्य डॉक्टर. पर उन्हें शायद मालूम नहीं था कि मधेपुरा में एक भ्रष्ट दारोगा की उपलब्धि सेना के अधिकारी से अधिक होती है.
      इस बात का पता तब चला जब गत 01 जुलाई को महेंद्र नारायण यादव के चिकित्सक पुत्र ओमनारायण यादव ने अपनी मोटरसायकिल से अपने कंपाउंडर को गाँव भेजा. रास्ते में शंकरपुर थानाध्यक्ष मो० एकरार अहमद खान ने कम्पाउन्डर को पकड़ा और उससे कागज की मांग की. संयोग से कुछ दिन पहले बरसात की वजह से कागज निकाल कर मधेपुरा स्थित क्लिनिक पर रखा गया था जिसे फिर से मोटरसाइकिल में रखना भूल गए थे. कम्पाउन्डर ने कागजात लाकर तुरंत दिखाने की बात कही, पर तैश में दारोगा जी ने कहा कि कुछ भी करो तुम्हारी मोटरसाइकिल अब नहीं छूटेगी. चिकित्सक ने थानाध्यक्ष से बात करना चाहा पर दारोगा जी नहीं माने. और जब पूर्व सैन्य अधिकारी महेंद्र नारायण यादव ने थाना पर पहुंचकर जैसे कहा कि कागज़ मंगा देते हैं, चलान नहीं काटिए वैसे ही लगा मानो डीजीपी के सामने कोई आतंकवादी खड़ा हो. लगे थानाध्यक्ष चिल्लाने और महेंद्र नारायण यादव के परिचय देने के बावजूद उन्हें डांट-फटकार कर अपमानित किया. महेंद्र नारायण यादव कहते रह गए कि मेरा बेटा भी आईएएस अधिकारी और डॉक्टर है और मैं भी कई बार युद्ध लड़ चुका सैन्य अधिकारी हूँ, पर सारा परिचय उल्टा पड़ा और सुलह कराने के नाम पर भी घूस मांगने वाले इस दारोगा ने वर्दी के रौब में दांत पीसते हुए अंगुली दिखाकर तुम-ताम कहते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.
      हालांकि बाद में फिर किसी के कहने पर थानाध्यक्ष ने मोटरसायकिल छोड़ दी, पर अपमान का दर्द जान की परवाह न करते हुए देश के लिए लड़ने वाले सैन्य अधिकारी के दिल में कब तक रहेगा, कहना मुश्किल है.
3 बार युद्ध लड़े सैन्य अधिकारी को अपमानित किया थानाध्यक्ष ने 3 बार युद्ध लड़े सैन्य अधिकारी को अपमानित किया थानाध्यक्ष ने Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 07, 2013 Rating: 5

2 comments:

  1. दरोगा जी आपकी अक्ल को क्या हो गया /भारत के जिन वीर सैनिकों को पूरा देश आदर और सम्मान देता है ,आपने उनका अपमान करके अपने ओछेपन का परिचय दिया है /आपको उन सैन्य अधिकारी से माफ़ी मांगनी चाहिए /मधेपुरा टाइम्स से मेरी गुजारिश है कि अगर ये दरोगा जी माफ़ी नहीं मांगते हैं तो इस बात की पूरी जानकारी ऊपर तक पहुंचा दी जाय /भारत के राष्ट्रपति से इस बात की शिकायत होनी चाहिए /

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  2. Mujhe toh ye ego ko ladai lagti hai..traffic offence mein sau rapaiye ka fine lagta hai aur bat khatam..ye toh mamuli offence hai ..mai khud hi kitni bar fine bhar chuka hun..agar Daroga ne badtamiji ki hai toh uske khilaf court jana chahiye... Madhepura Times ko Daroga ka bhi paksh rakhna chahiye..

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