रमजान पर इस बाढ़ की त्रासदी को भूल नहीं पाएंगे..

|पूर्णियां से दिलीप राज|12 जुलाई 2013|
बाढ़  के कहर ने पूर्णिया के बायसी अनुमंडल को अपनी जद में ले रखा है ऐसे में उन रोजेदारों की परेशानी बढ़ गयी है  जो इन इलाकों में बसर करते हैं. कटाव की वजह हर घंटे इनका ठिकाना बदलता जा रहा है लिहाजा इन्हें इबादत  से लेकर इफ्तार तक मुसीबतों से दो चार होना पड़ता है.

 बाढ़ का पानी मुसीबत बनकर आया है उन रोजेदारों के लिए जो बरकत और इबादत के इस महीने में उपरवाले की नेमत की ख्वाईश रखते हैं. इस महीने में पाक साफ़ रहना निहायत जरूरी होता है लेकिन  इन्हें सफाई के लिए बाढ़ के गंदे पानी पर ही निर्भर रहना पर रहा है. रोजेदार लगातार मुसीबतों को झेल रहे हैं लेकिन उपरवाले पर इनकी श्रद्धा की बदौलत ये इस वक्त को भी काट लेते हैं.

 रोजेदारों के लिए भी वही इंतजामात हैं जो आम विस्थापितों के लिए हैं. दिन भर बाढ़ के कहर से खुद को बचाते हुए जब शाम होती है तो इफ्तार करने के लिए इन्हें चूड़ा-चीनी से काम चलाना पड़ता  है. हालाँकि अधिकारी आश्वान दे रहे हैं की रोजेदारों के सुविधा के लिए जरूरी कदम उठाये जायंगे ...

       रोजेदारों की मदद के लिए हाथ तो आगे नहीं आये लेकिन जब स्थानीय विधायकसबा जफ़र....भाजपा विधायक..अमौर ... से इस बाबत पुछा गया तो इन्होने मदद का आश्वाशन तक नहीं दिया अलबत्ता सरकार की नाकामी को जवाबदेह ठहरा दिया.

 पूर्णिया का बायसी, अमौर, बैसा प्रखंड मुस्लिम बाहुल्य इलाका है जहाँ तकरीबन छतीस  हजार लोग विस्थापित  हुए हैं. साल में एक बार ही आने वाले माहे रमजान पर बाढ़ का पानी कुछ ऐसा फिर है की इस त्रासदी को ये लोग ताउम्र नहीं भूल पाएंगे ...  
रमजान पर इस बाढ़ की त्रासदी को भूल नहीं पाएंगे.. रमजान पर इस बाढ़ की त्रासदी को भूल नहीं पाएंगे.. Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 12, 2013 Rating: 5

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