हिमांशु हत्याकांड: बेक़सूर पिता को फंसाया पुलिस ने ?

|वि.सं.|03 जून 2013|
सनसनीखेज और दिनदहाड़े मधेपुरा शहर में हुए इस हत्या के राज पर से एक तो मधेपुरा पुलिस पर्दा उठाने में पूरी तरह असफल रही ऊपर से अब मृतक के पिता अधिवक्ता शरत चन्द्र यादव को
ऐसे की गई थी हत्या
बिना ठोस सबूत के ही आरोपित कर इस बहुचर्चित हिमांशु राज हत्याकांड से लगभग पल्ला झाड़ ली है.

      न्यायालय में दाखिल पुलिसिया अनुसंधान अपने आप में दिग्भ्रमित नजर आती है और सर्वोच्च न्यायालय की उस मंशा को भी तार-तार करती है जिसमें कहा गया है कि सौ दोषी भले ही छूट जाएँ पर एक निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए. पर गत 4 फरवरी को मधेपुरा के वार्ड नं.7, रानीपट्टी मुहल्ले में हुई इस हत्या में दाखिल आरोप पत्र से ऐसा लगता है कि यहाँ दोषी का तो पता ही नहीं है पर एक निर्दोष को सजा दिलवाने की पूरी तैयारी मधेपुरा थाना कांड संख्यां 53/2013 के अनुसंधानकर्ता के. बी. सिंह ने कर दी है. यहाँ जेल में बंद आरोपी पिता शरतचन्द्र यादव को हम निर्दोष सिर्फ इस आधार पर कह रहे हैं कि पुलिस उनके दोषी होने के पक्ष में कोई ठोस और प्रामाणिक सबूत जुटाने में असफल रही है और भारतीय क़ानून के मुताबिक़ संदेह का लाभ हमेशा अभियुक्त को दिए जाने की व्यवस्था है.

      पूरी पुलिसिया रिपोर्ट का पोस्टमार्टम कर हम पाठकों के सामने ही फैसला के लिए रखेंगे पर फिलहाल हम इस कांड में दाखिल आरोप पत्र से साथ की केस डायरी की कुछ बातें आपके सामने रख रहे हैं जो दर्शाती है कि इस कांड में हिमांशु के पिता शरतचंद्र यादव के खिलाफ पुलिस को
पुलिस को प्रामाणिक सबूत नहीं
ठोस जानकारी नहीं मिल सकी थी.

दिनांक 10/02/2013- पारा 69- गुप्त सूत्रों एवं आसपास के स्थानीय लोगों से संपर्क कर कांड के सन्दर्भ में साक्ष्य एकत्र करने का प्रयास किया गया. कोई ठोस जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी. स्थानीय लोग काफी प्रयास के बाद भी इस घटना के सन्दर्भ में जानकारी देने से बचते रहे.

दिनांक 15/04/2013- पारा 91- कॉलेज चौक आया. आसपास के लोगों से संपर्क किया. लोगों का मानना है कि मृतक की माँ एवं पुत्री के द्वारा हत्या जैसे जघन्य कांड में पिता एवं चाचा पर आरोप लगाया गया है. सामान्य रूप से लोग इस प्रकार का आरोप नहीं लगाया करते हैं. माँ-पुत्री एक साथ हैं. पिता अलग हैं तथा अपने भाई सतीशचंद्र के विश्वास में हैं. सतीशचंद्र जमीन को लेकर सुधा रानी को पूर्व में भी धमकी देते आये हैं. आरोपों में कहीं न कहीं कुछ दम है. अन्य सम्भावना भी हो सकती है.

      इन दो पाराओं का उल्लेख हम सिर्फ इसलिए कर रहे हैं कि 15 अप्रैल तक अनुसंधानकर्ता को अभियुक्तों के विरूद्ध आरोप तय करने के लिए कोई ठोस परिस्थिति नहीं दिख रही थी और इसके बाद पुलिस ने केश डायरी में बिना कुछ लिखे अचानक से 30 अप्रैल को परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर हिमांशु के पिता को अपने पुत्र की हत्या में आरोपित कर दिया. क्या मधेपुरा पुलिस ने ऐसा खुद को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 (ii) की कार्यवाही से बचाने के लिए किया है ???(क्रमश:)
(अगले अंकों में हम जानने की कोशिश करेंगे कि क्या वजह हो सकती है और कौन से चेहरे हो सकते हैं हिमांशु राज की हत्या के पीछे ??? पढ़ते रहें www.madhepuratimes.com)
हिमांशु हत्याकांड: बेक़सूर पिता को फंसाया पुलिस ने ? हिमांशु हत्याकांड: बेक़सूर पिता को फंसाया पुलिस ने ? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 03, 2013 Rating: 5

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