मंडल विश्वविद्यालय बोले तो भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी दूकान ?

चर्चा में फिर है मधेपुरा का बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय. अधिकाँश लोगों की मानें तो मधेपुरा में शिक्षा के स्तर को जमीन पर पटक देने में यहाँ विश्वविद्यालय का खुलना एक बड़ा कारण रहा है. अचानक सरकार से मिले बड़े फंड को देखकर यहाँ के कुछ अधिकारी-कर्मचारी बौरा से गए और लूट लो इण्डिया की तर्ज पर जिसे जहाँ मौका मिल रहा है, लूटने में पिले हुए हैं.
      फिलहाल हम बात करना चाहते हैं विश्वविद्यालय मुख्यालय में चल रहे स्नातक द्वितीय खंड (पास/प्रतिष्ठा) के सभी विषयों की उत्तरपुस्तिका जांच के तरीके की. सूत्रों का कहना है कि इस जांच हेतु गलत तरीके से कई ऐसे शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को भी नियुक्त किया गया है जो अपने-अपने महाविद्यालय में सृजित पद पर नियुक्त ही नहीं है और न ही अनुदान पाने के ही काबिल रहे हैं.
      बताया जाता है कि ऐसे शिक्षक-शिक्षिकाओं ने पैसे देकर एक्जामिनर के रूप में अपनी नियुक्ति करवाई है. कुछ ऐसे भी मामले प्रकाश में आये हैं कि ये बाहर जमा पैरवीकारों की भीड़ को अपना नियुक्ति पत्र दिखाकर उनके अंक बढ़ाने के लिए पैसे की उगाही कर रहे हैं. एक छात्र ने बताया कि एक महिला एक्जामिनर के पति ने तो बकायदा अपनी पत्नी के नियुक्ति पत्र का फोटोस्टेट अपने पास रख लिया है और बाहर अंक बढ़वाने के लिए रूपये की उगाही कर रहे हैं. यानी भ्रष्टाचार की खुल गई है विश्वविद्यालय में दुकान. और इन पर विश्वविद्यालय के उच्चाधिकारियों का भी कोई नियंत्रण नही है या यों कहिये कुछ लोगों ने ऐसे एक्जामिनर से रूपये लेकर उनकी नियुक्ति की है तो अब उन्हें इनकी ऐसी हरकत पर आँख तो मूंदना ही होगा.
      बात साफ़ है, भुसकोल छात्र-छात्रा अधिक अंक पायेंगे और योग्य उनसे कम पाकर हतोत्साहित होंगे. शायद ऐसे विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों की नियति यही है.
(वि० सं०)
मंडल विश्वविद्यालय बोले तो भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी दूकान ? मंडल विश्वविद्यालय बोले तो भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी दूकान ? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 17, 2013 Rating: 5

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