मधेपुरा के अपर सत्र न्यायाधीश श्री मनोज शंकर दुर्घटना में घायल हुए तो कार में मौजूद सभी घायलों को मधेपुरा के सदर अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया.चोट कमोबेश श्री मनोज शंकर, उनकी पत्नी,उनके बच्चों और बॉडीगार्ड को थी और यहाँ आवश्यकता पड़ी एक्सरे करवाने की.अस्पताल प्रशासन ने कहा अभी बुलवाते हैं एक्सरे वाले को.इन्तजार होता रहा पर घंटा बीत जाने के बाद भी जब सदर अस्पताल के एक्सरे विभाग में कोई कर्मचारी नहीं आया तो वहां देखने आये न्यायिक पदाधिकारियों में असंतोष और आमलोगों में आक्रोश पनपने लगा.सिविल सर्जन परशुराम प्रसाद ने भी कहा कि आ रहा है एक्सरे वाला.पर किसी को आता न देख जिला न्यायाधीश ने ये कहा कि जब न्यायिक पदाधिकारियों के इलाज में इतनी लापरवाही बरती जा रही है तो आम लोग के साथ यहाँ क्या होता होगा.मौके की गंभीरता समझते हुए सिविल सर्जन तब सभी घायलों को पानी टंकी के पास के एक प्राइवेट एक्सरे लैब ले गए जहाँ सबों का एक्सरे हो सका.
उसके बाद भी एक्सरे रूम घंटों बंद रहा और अस्पताल प्रशासन झूठ पर झूठ बोलता रहा कि एक्सरे वाले आ रहे हैं.जानकारी मिली कि कॉन्ट्रेक्ट वाले एक्सरे मशीन को चला रहे हैं, उनके आने-जाने का कोई ठिकाना नहीं है.हाँ कुछ घंटों के बाद एक्सरे का एक चतुर्थवर्गीय कर्मचारी जरूर आया जो दारू के नशे में था,जिसे अस्पताल प्रशासन ने वहां से भगा दिया. इस घटना से यह साफ़ होता है कि आपातकाल में यदि आप सदर अस्पताल मधेपुरा जाते हैं तो आप अपनी जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.बहुत से लोगों का ये मानना है कि सदर अस्पताल मधेपुरा चिकित्सकों और कर्मचारियों के लिए सिर्फ नाजायज कमाने की जगह है,सेवा ये लाचारभाव से करते हैं.
एडीजे दुर्घटना मामले में खुली सदर अस्पताल की पोल
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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June 07, 2012
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