लाशों के सहारे भरता है जिनका पेट

राजो मल्लिक की जिंदगी कुछ ऐसी ही है.मधेपुरा जिले में होने वाली मौतों से जहाँ कुछ भी पलों के लिए लोग सदमे और दहशत में चले जाते हैं,वहीं ये मौतें राजो को अपने और परिवार के पेट को भरने में मदद करती हैं.सदर अस्पताल में राजो मल्लिक उस काम को अंजाम देता है जिसे कोई दूसरा करने को तैयार नहीं.लाश की पोस्ट मार्टम का अधिकाँश काम राजो मल्लिक के हाथों ही होता है.और बदले में राजो को कुछ पैसे मिलते हैं,जो राजो को परिवार चलने में मदद करते हैं.पर राजो की कई समस्याओं पर अस्पताल प्रशासन चुप्पी साधे हुए है.अस्पताल प्रशासन के द्वारा राजो मल्लिक को एक चवन्नी भी नहीं दी जाती है.वो तो मृतक के परिजन होते हैं जो राजो को प्रति लाश २०० से ४०० रूपये दे जाते हैं.महीने में करीब पांच लाशों का पोस्टमार्टम राजो के सहयोग से हो जाता है,जिससे मिले करीब १५०० रू० राजो की जीविकोपार्जन में जुट जाते हैं.पर सिर्फ इसी काम से राजो का पेट भरने वाला नहीं है.परिवार चलाने के लिए वह सफाई के और काम भी करता है.अस्पताल प्रशासन से कोई सहायता नहीं मिलने से वह क्षुब्ध भी है.पर मधेपुरा के लोगों को परेशानी न हो जाय,इसलिए वह ये काम नहीं छोड़ पा रहा है.
  अपने साले शम्भू के मरने के बाद करीब पांच साल से इस काम को कर रहे राजो बताते हैं कि ये काम कभी-कभी काफी घृणास्पद लगता है,जब सप्ताह और पन्द्रह दिन की सड़ी गली लाश पोस्टमार्टम के लिए आ जाती है.अस्पताल प्रशासन भी चाहता है कि मृतक के परिजनों से राजो को कुछ पैसे मिल जाय,जिससे राजो इस काम को करता रहे,वर्ना सदर अस्पताल को एक बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है.यह पूछे जाने पर कि जब उसे लाशों से आमदनी होती है तो क्या वह चाहता है कि अधिक से अधिक लोग मरें,ताकि उसकी आमदनी बढे?,पर राजो कहता है,बिलकुल नहीं,मैं नहीं चाहता हूँ कि कोई मौत हो और लाश पोस्टमार्टम के लिए आवे,इसलिए मैं साथ में दूसरा काम भी कर रहा हूँ.मैं चाहता हूँ कि दुर्घटना और अपराध के कारण लोगों की मौतें बंद हो जाएँ और मैं भी इस काम को सदा के लिए छोड़ सकूं.पर मौत तो आनी ही है और जाहिर है राजो इस काम को करने के लिए आगे भी तैयार है.
लाशों के सहारे भरता है जिनका पेट लाशों के सहारे भरता है जिनका पेट Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 02, 2013 Rating: 5

1 comment:

  1. Sach kaha hai kisine, koi v insaan chota nahi hota. .chota toh use uska kaam banata hai. . .
    Samaj ke har varg ka har insaan apne aap mein ek (aam ya khas) sthan rakhta hai. .

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