उजड़ा शहर,बिना नोटिस के उजाड़ा सैंकड़ों दुकानों को

राकेश सिंह/२३ अक्टूबर २०११
मधेपुरा में आज प्रशासन के रवैये ने गद्दाफी की याद दिलाते हुए जिले में तानाशाही के पिछले सभी रिकॉर्ड्स को ध्वस्त कर दिया.तानाशाही इसे इसलिए कहा जाना चाहिए कि बिना किसी नोटिस के ही प्रशासन ने दुकानदारों पर मानो हमला सा बोल दिया और किसी को सँभालने तक का मौका नही दिया.अतिक्रमण हटाने के नाम पर जिला प्रशासन ने दीवाली और धनतेरस के अवसर पर जिला मुख्यालय के मुख्य मार्ग पर सड़क के किनारे लगे सैकड़ों दुकानों को उजाड़ने के लिए जेसीबी मशीन तक का इस्तेमाल कर दिया.एसडीओ के आदेश पर हुए इस कृत्य में तानाशाही का आलम ये रहा कि लोगों ने जब अपने सामान को हटाना चाहा मौके पर मौजूद सैंकडों की संख्यां में पुलिस बल ने उन्हें धकेल का अलग कर दिया.इस अतिक्रमण हटाओ अभियान में सबसे गैर कानूनी बात तो ये रही कि दुकानों को तोड़ने से पहले प्रशासन ने किसी प्रकार की नोटिस तक दुकानदारों को नहीं दी.शुरू में जब दुकानदारों ने प्रतिरोध किया तो पुलिस ने डंडे के बल पर उन्हें हटा दिया.फल,पटाखे,मूर्तियों आदि की दूकान को हटाने में क्रम में देवी-देवताओं की कई मूर्तियां भी टूटी.
   बाद में लोगों का प्रतिरोध बदने और उग्र हो जाने पर जब प्रशासन थमा तो तबतक सैकड़ों दुकानदार बर्बाद हो चुके थे.टूटे-बिखरे सामान और रोते-बिलखते गरीब दुकानदारों को धनतेरस और दिवाली को ऐसा तोहफा प्रशासन देगी ऐसा किसी ने नहीं सोचा था.उजड चुके इन दुकानदारों ने बताया कि सोचा था इस दीवाली के अवसर पर थोड़ी कमाई हो जायेगी तो परिवार के लोगों को अच्छा खाना और कपड़ा नसीब होगा,पर आज की घटना से हम सड़क पर तो आ ही गए हैं,और अब भूखों मरने की नौबत है.
   उग्र दुकानदारों ने जब प्रदर्शन शुरू किया तो पुलिस को पीछे हटना पड़ा.लोगों ने प्रयोग किये गए जेसीबी मशीन पर भी डंडे बरसाए और मौके
पर पहुंचे पुलिस गाड़ियों को भी घेरा.मधेपुरा थानाध्यक्ष, डीएसपी तथा एसडीओ के छठ तक कुछ न करने के आश्वासन के बाद भले ही लोग तोड़फोड़ न करने को फिलहाल मान गए हों,पर समाचार लिखने तक सड़कों पर प्रशासन विरोधी नारे लग ही रहे थे और लोगों का आक्रोश कम होने का नाम नहीं ले पा रहा था.
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उजड़ा शहर,बिना नोटिस के उजाड़ा सैंकड़ों दुकानों को उजड़ा शहर,बिना नोटिस के उजाड़ा सैंकड़ों दुकानों को Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 23, 2011 Rating: 5

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