अधिवक्ता की करतूत से बेगुनाह काट रहा जेल:निकालना बनी चुनौती

राकेश सिंह/०७ फरवरी २०११
मधेपुरा में आये दिन मुवक्किलों और वकीलों में तनातनी की घटनाएं तो आम हैं ही,पर एक वकील की ताजा करतूत ने एक बेगुनाह को सलाखों के पीछे तक पहुंचा दिया है.उक्त व्यक्ति के जेल चले जाने के बाद उसे निकालने का प्रयास तो दूर विद्वान अधिवक्ता मैदान छोड़ कर भाग खड़े हुए.इस बेगुनाह को निकालना बाक़ी अधिवक्ताओं के लिए भी चुनौती बन गयी है.
    घटना मधेपुरा थाना से सम्बंधित है जिसमे ०७ दिसंबर २०१० को मधेपुरा थाना के भतरंधा गाँव के शिवनाथ यादव,अरूण यादव और नरेश यादव पर गाँव के ही अमरेन्द्र यादव पर जान से मारने का प्रयास करने का आरोप है.१३ जनवरी को एक अधिवक्ता ने उक्त व्यक्तियों के नाम पर जिन तीन व्यक्तियों को सीजेएम के न्यायालय में जमानत हेतु खड़ा करवाया,दरअसल उनमे से एक अरूण यादव था ही नही.चूंकि अरूण यादव दिल्ली में था और उसे बुलवाना आवश्यक इसलिए नही समझा गया कि केस में दोनों पक्षों में सुलह हो गया था.सबों ने इस केस में एक षड्यंत्र रचा जिसके तहत अरूण यादव के बदले में गांव के ही निर्दोष बिजेन्द्र यादव को खड़ा किया गया.बकौल बिजेन्द्र यादव उसे वकील साहब ने समझाया कि चूंकि मामला सुलह का है इसलिए सिर्फ खड़ा भर होना है,खड़े-खड़े बेल मिल जाएगा, ऐसा तो होता ही है,एक समाज में रहने पर लोग एक-दूसरे की मदद नही करेंगे तो समाज कैसे चलेगा.और बस भोला-भाला बीजेन्द्र फंस गया अधिवक्ता की बात में और खड़ा हो गया न्यायालय में अरूण के बदले.पर न्यायालय में मामला उल्टा पड़ गया.चूंकि मामला हत्या के प्रयास का था इसलिए सीजेएम ने जमानत नही दी और तीनों को भेज दिया जेल.इस समय तक ये बात खुल कर सामने नही आयी कि असली अभियुक्त अरूण दिल्ली में मौज कर रहा है और उसके बदले एक निर्दोष जेल की हवा खा रहा है.
     मामले का खुलासा तब हुआ जब केस के अनुसंधानकर्ता जी०पी०सिंह मामले की अग्रिम जांच हेतु भतरंधा गए.वहां जब उन्हें पता चला कि अरूण तो दिल्ली में है तो उनके कान खड़े होना स्वाभाविक था कि तब अंदर कौन है.पता करने पर जो सच खुल कर सामने आया वो चौंका देने वाला था.अनुसंधानकर्ता ने सारे सबूत जमा कर न्यायालय को यह सूचना दी कि जेल काट रहा व्यक्ति तो इस केस का अभियुक्त है ही नहीं.इस खुलासे से न्यायालय भी सकते में है.जब उक्त विद्वान अधिवक्ता से इस सम्बन्ध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अब मुझे नही करनी इस केस में पैरवी,मैंने इस केस को छोड़ दिया है.
ये बात तो बिलकुल तय है कि असली अभियुक्त को अब न्यायालय में सरेंडर करना ही होगा.पर क्या होगा बिजेन्द्र का जो भोलेपन के कारण धोखे का शिकार हो गया.बिजेन्द्र उस केस में अंदर है जिस केस में वो अभियुक्त है ही नही.कैसे निकलेगा बिजेन्द्र जेल से बाहर और अब अधिवक्ताओं में इस बात की बहस छिड चुकी है कि बिजेन्द्र के जमानत हेतु किस केस में आवेदन करें और जब बिजेन्द्र अभियुक्त है ही नही तो कैसे  इसे अभियुक्त कह कर इसके जमानत हेतु प्रार्थना की जाय.
   जो भी हो, अपने पड़ोसी और अधिवक्ता पर विश्वास करना महंगा पड़ा बिजेन्द्र को और फिलहाल उसके जेल से बाहर आने के कोई आसार नजर नही आ रहे हैं.   
अधिवक्ता की करतूत से बेगुनाह काट रहा जेल:निकालना बनी चुनौती अधिवक्ता की करतूत से बेगुनाह काट रहा जेल:निकालना बनी चुनौती Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on February 07, 2011 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.