मिली जानकारी के अनुसार अचानक तबियत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी मृत्यु हो गई। उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली स्थित उनके निवास स्थान, ईस्ट एन्ड अपार्टमेंट, मयूर विहार फेज 1 एक्सटेंशन लाया गयाजिसके बाद उनका दाह संस्कार नई दिल्ली के लोदी रोड स्थित क्रेमिनेशन सेंटर में 4:30 बजे संपन्न हुआ। स्मृतिशेष एन.के. सिंह अपने पीछे छोटे भाई सुशील कुमार सिंह, पुत्र प्रदीप सिंह, भतीजे अजित कुमार सिंह (अधिवक्ता), बिश्वजीत सिंह, रोहित कुमार सिंह (अधिवक्ता), पोता सिद्धार्थ और पोती सुकन्या (अधिवक्ता) को छोड़ गए हैं।
एनके सिंह ने अपने लंबे सेवाकाल में कई संवेदनशील और ऐतिहासिक मामलों की जांच का नेतृत्व किया। उन्हें 1998 में राष्ट्रपति पुलिस पदक – मानव सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
लेकिन उनके करियर की सबसे चर्चित घटनाओं में से एक थी पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी को 3 अक्टूबर 1977 को जीप स्कैंडल मामले में गिरफ्तार करना। यह जिम्मेदारी उन्हें तत्कालीन सीबीआई निदेशक द्वारा दी गई थी। उस समय सीबीआई के बतौर एसपी युवा अधिकारी के रूप में यह कार्य करना उनके साहस का परिचायक था। इस कार्रवाई के बाद वे पूरे देश में सुर्खियों में आ गए ।
अपने कार्यकाल में एनके सिंह ने भ्रष्टाचार और अपराध के मामलों में कई महत्वपूर्ण जांचों का नेतृत्व किया। उनकी कार्यशैली कड़ी कार्रवाई के साथ-साथ न्यायप्रिय और निष्पक्ष दृष्टिकोण के लिए भी जानी जाती थी।
सेवा निवृत्ति के बाद योगदान
सेवा निवृत्ति के बाद भी एनके सिंह समाज और प्रशासन पर गहरी छाप छोड़ते रहे। उन्होंने दिल्ली में रहते हुए अपने अनुभवों को पुस्तकों में संकलित किया। उनके तीन प्रमुख पुस्तकें हैं: सादा सत्य: एक सीबीआई अधिकारी की यादें, अपराध और भ्रष्टाचार की राजनीति, भारतीय राजनीति का तीखा स्वाद और उससे आगे। इन पुस्तकों में उन्होंने अपने करियर की घटनाओं के साथ-साथ भारतीय राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था पर भी प्रकाश डाला।
एनके सिंह के परिवार में उनके बेटे प्रदीप कुमार सिंह, पोता सिद्धार्थ (एमएनसी में नौकरी), और पोती सुकन्या (दिल्ली में वकील) हैं। रिटायरमेंट के बाद भी वह अपने पैतृक गांव कुमारखंड आते-जाते रहते थे। उनके गांव आने की सूचना मिलते ही प्रशंसकों और ग्रामीणों की भीड़ जुट जाती थी। वह सभी से मिलते और सादगीपूर्ण तरीके से बातचीत करते थे।
उनके निधन की खबर सुनते ही कुमारखंड प्रखंड समेत जिले के आसपास के क्षेत्रों में शोक की लहर दौड़ गई। एनके सिंह का जीवन साहस, निष्पक्षता, समाज सेवा और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक रहा।
(रिपोर्ट: मीना कुमारी/ मधेपुरा टाइम्स)

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