प्रखंड क्षेत्र के जोरगामा गांव वार्ड संख्या 4 में सत्संग प्रेमी अरुण लाल दास के आवास पर प्रातः एवं संध्या कालीन स्तुति, विनती, भजन-कीर्तन, सामूहिक ध्यान और भंडारे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान अरुण लाल दास ने महर्षि मेंही जी के जीवन और उपदेशों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका अवतरण वर्ष 1885 में बैसाख शुक्ल चतुर्दशी को मधेपुरा जिला अंतर्गत खोखसी श्याम गांव स्थित ननिहाल में हुआ था।
उन्होंने कहा कि महर्षि मेंही जी ने अपने तप और सत्संग के माध्यम से लाखों आत्माओं को आध्यात्मिक मार्ग दिखाया। उन्होंने सभी संप्रदायों को जोड़ते हुए 'सम्मिलित संतमत' की स्थापना की और आत्मा-परमात्मा के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाया। उनके बताए मार्ग पर चलकर ही सदगति की प्राप्ति संभव है। उन्होंने उपस्थित लोगों से उनके सिद्धांतों को जीवन में अपनाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में प्रभाष लाल दास, अशोक कुमार, दीपक कुमार, रिप्पू वर्मा, अभिषेक कुमार, स्नेह राज, यश, आयन, निर्मला देवी, रुचि कुमारी, सज्जन कुमारी, अदिति वर्मा, सुनीता देवी सहित बड़ी संख्या में सत्संग प्रेमी उपस्थित थे।

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