अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस संगोष्ठी अध्यक्षता कर रहे श्री महेंद्र मंडल द्वारा जीवन में शांति की अनिवार्यता पर बल देते कहा गया कि पहली बार इस दिवस को 1982 में कई राष्ट्रों राजनीतिक समूहों,सेना समूहों और लोगों द्वारा मनाया गया। 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इसे शांति शिक्षा के लिए समर्पित किया।श्री सिंह ने बताया कि सफेद कबूतरों को हमेशा शांति दूत माना जाता है इसलिए इस दिन सफेद कबूतरों को उड़ाने की परंपरा भी है।
वहीं डॉ चंद्रशेखर आजाद एन एस एस पदाधिकारी ने संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा स्थापित अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस की पृष्ठभूमि व आधार पर प्रकाश डाला बताया कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विश्व में शांति स्थापित करने के लिए 5 मूल मंत्र दिए थे। जिन्हें ‘पंचशील के सिद्धांत’ भी कहा जाता है
1. एक दूसरे की प्रादेशिक अखंडता और प्रभुसत्ता का सम्मान करना.
2. एक दूसरे के विरूद्ध आक्रामक कार्यवाही न करना.
3. एक दूसरे के आंतरिक विषयों में हस्तक्षेप न करना.
4. समानता और परस्पर लाभ की नीति का पालन करना.
5. शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की नीति में विश्वास रखना.
डॉ सुशांत सिंह ने मानवता, अहिंसा, समरसता एवं समतामूलक विचारों को जीवन में धारण करने से ही समाज में शांति की स्थापना संभव है। डॉ सुशांत सिंह ने कहा कि आज हम सभी 'वसुधैव कुटुंबकम्' की भावना को आत्मसात करने का प्रण लेकर 'विश्व शांति दिवस' को सार्थकता प्रदान करें.
इस अवसर पर महेंद्र मंडल, डॉक्टर संगीता कुमारी सिन्हा, डा. सुशांत कुमार सिंह, डॉक्टर शिव शर्मा, डॉ विजय पटेल, डॉ रविंद्र कुमार, डॉ चंद्रशेखर आजाद, डॉ विकास कुमार , डॉ पूनम कुमारी, डॉक्टर त्रिदेव निराला, उदित मंडल डॉ शंकर रजक, डॉ दीपक कुमार, डॉ राघवेंद्र कुमार, डॉ एहसान हसन, डा ब्रह्म देव जी इत्यादि मौजूद थे कार्यक्रम में शिक्षकेतर कर्मचारी नीरज कुमार निराला, देवाशीष व प्रधान लिपिक राजन कुमार मौजूद थे।
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