"जहाँ संतों का सान्निध्य दुर्लभ है, वहीं संतों की वाणियों का सत्संग सुलभ है: दो दिवसीय संतमत सत्संग का अंतिम दिन

मधेपुरा जिले के गम्हरिया प्रखंड मुख्यालय स्थित महर्षि संतसेवी के अवतरित भूमि संतसेवी नगर में दो दिवसीय संतमत सत्संग के अंतिम दिन कुप्पा घाट भागलपुर के अंतराष्ट्रीय प्रचारक स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज ने कहा कि जहाँ संतों का सान्निध्य दुर्लभ है वहीं संतों की वाणियों का सत्संग सुलभ है. संतों की सद्वाणियों में जीवन की अनुभवगम्य सारभूत बातें भरी पड़ी हैं. अज्ञानी को ज्ञानी बनाने और त्रय ताप तापित प्राणी को मुक्ति दिलानेवाली संतवाणी है. यम त्रास का नाश तथा भवपाश का विनाश करनेवाली संतवाणी है.

जब संत सद्‌गुरु की शरण में जाता है अपना उद्धार करने के लिए, बल्कि अपने आपको इस कैदखाने से निकालकर परमात्मा के धाम में ले जाने के लिए यह मनुष्य-शरीर मिला है.

सुकर्म करो, सुकर्म का फल सुखदायी होता है और नाम का सुमिरन करो. सुकर्म और सुमिरन सुख देनेवाले हैं. सुमिरन से सबसे बड़ा लाभ यह है कि चौरासी लाख योनियों में जाना नहीं पड़ता. जो परमात्मा की भक्ति करते हैं. सुमिरन-ध्यान करते हैं. उन्हें आवागमन के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. लेकिन शर्त है कि सुमिरन ध्यान नियम से किया जाए. आचरण में पवित्रता का बहुत ध्यान रखना चाहिए. खान-पान, रहन-सहन को पवित्र बनाकर रखने की परम आवश्यकता है. आहार-विहार को संयमित करके साधन-भजन करने की जरूरत है. जितना जिनके पास है उसी में संतुष्ट रहें. 

इस अवसर पर संजीवानन्द बाबा, हंसराज बाबा, कैलाश बाबा सहित अन्य बाबा मौजूद थे.

"जहाँ संतों का सान्निध्य दुर्लभ है, वहीं संतों की वाणियों का सत्संग सुलभ है: दो दिवसीय संतमत सत्संग का अंतिम दिन "जहाँ संतों का सान्निध्य दुर्लभ है, वहीं संतों की वाणियों का सत्संग सुलभ है: दो दिवसीय संतमत सत्संग का अंतिम दिन Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 21, 2024 Rating: 5

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