आत्मा की ज्योति जगाने से राम राज्य स्थापित किया जा सकता है. आत्म ज्योति के प्रकाश से ही अज्ञान रुपी अंधकार का नाश होता है और जन-जन के अंत:करण को प्रकाशित किया जा सकता है. आत्म ज्योति अंदर के काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार और मत्सर (ईर्ष्या, द्वेष) को भी नष्ट कर देती है.
जैन मुनि रमेश कुमार ने अयोध्या में बन रहे रामलला के मंदिर की चर्चा करते हुए उस स्थान के ऐतिहासिक घटनाओं का भी इस अवसर पर उल्लेख किया. आगे कहा कि रामायण के नायक श्रीराम जैन परम्परा में ६३ शलाकापुरुषों में से एक हैं. यहाँ वे विष्णु के अवतार नहीं हैं बल्कि वह बलभद्र हैं जो सिद्धक्षेत्र माँगी तुंगि, महाराष्ट्र से मोक्ष गये. जैन धर्म में भगवान राम को बहुत उच्च स्थान दिया गया है. भगवान राम जैन रामायण के नायक हैं तथा उन्हें अहिंसा, प्रेम करुणा, शांति, सौहार्द की प्रतिमूर्ति के रूप में चित्रित किया गया है. अन्त समय में वे दीक्षा ग्रहण कर मोक्ष को प्राप्त हुए. जैन मान्यतानुसार प्रत्येक मोक्ष प्राप्त आत्मा सिद्ध कहलाता है. जैन रामायण में भगवान राम का आदर के साथ उल्लेख किया गया है. मुनि रत्न कुमार जी ने वाणी संयम पर अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किये.
आज के प्रवचन में बिहारीगंज के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया. शहर के प्रबुद्ध लोग, समाज सेवी भी उपस्थित थे. बिष्णु देव सिंह, कटिहार मेडिकल कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ०(प्रो०) पूजा भारती, अखिलेश कुमार पूर्व मुखिया हथिओंधा, विपिन कामती पूर्व मुखिया बिहारीगंज, तेरापंथ उपसभा संयोजक नवरतन सेठिया, विजय जी बोथरा, सुमन बोथरा, डॉ मिथिलेश कुमार, झूमरमल जी पुगलिया आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

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