श्री भूषण ने कहा कि गांधी जी छोटे उद्योग के पक्षधर थे लेकिन आज छोटे उद्योगों की नही केवल अडानी-अम्बानी की चिंता की जा रही है. इसी तरह महात्मा गांधी सत्ता के विकेंद्रीकरण के हिमायती थे.वे पंचायती राज के माध्यम से रामराज की कल्पना को मूर्त रूप दिलाना चाहते थे.लेकिन,आज देश मे केवल सत्ता के केंद्रीकरण की बात हो रही है,प्रयास हो रहे हैं.सच तो यह है कि आज देश मे दो लोगों की ही चलती है.
श्री भूषण ने अनुपम के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि कोसी महापंचायत आत्ममंथन का महापंचायत है. हम सबों को यहां आत्ममंथन करना है. पंच अभिशाप की चर्चा करते हुए श्री भूषण ने कहा कि नशा का बड़ा कारण बेरोजगारी है जो आज चरम पर है.
कहा कि केंद्रीय विद्यालय जैसी सुविधा केवल सरकारी कर्मियों को क्यों ,आम आदमी के बच्चों को भी मिलनी चाहिए.इसी तरह स्वास्थ्य-सुविधाएं पंचायत स्तर पर ही आम लोगों को उपलब्ध होनी चाहिए.उन्होंने भूमि-विवाद को परिवार और समाज के लिए पतनकारी बताते हुए कहा कि मेरा मानना है कि भूमि-विवाद का निपटारा न्यायालय में नही परिवार और समाज मे बैठकर होना चाहिए.
युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने कोसी के पंच अभिशाप के परिणामो को विस्तार से बताया और कहा कि आज से कोसी के पतन के इतिहास लिखना बंद, अब कोसी के उत्थान की कहानी लिखी जाएगी. कहा कि आने वाले दिनों में कोसी जनांदोलन का केंद्र बिंदु बनने वाला है. देर-सवेर सिद्धान्त और नैतिकता की जीत होगी. इस महापंचायत का उद्देश्य केवल पंच अभिशाप को मिटाना ही नहीं बल्कि नैतिकता को समाज का मापदंड बनाना है जिसकी जगह आज ताकत ने ले लिया है. महापंचायत के अंत मे अनुपम ने घोषणा किया कि हर अभिशाप के लिए एक जन आयोग का गठन किया जाएगा और आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आगे जनांदोलन की रणनीति तय की जाएगी. महापंचायत को पूर्व आईबी निदेशक यशोवर्धन झा आजाद, जेपी सेनानी दिनेश कुमार, आरटीआई कार्यकर्ता वीरेंद्र कुमार जालान ने भी संबोधित किया. मंच संचालन युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय महासचिव प्रशांत कमल और धन्यवाद ज्ञापन अधिवक्ता सुधीर झा ने किया. इस मौके पर गोविंद मिश्रा, रजत यादव,राशिदा कुरैशी, सुरेंद्र कोहली, अनिल कुमार सिंह, सुनील यादव, अमित कुमार, जुविन दास, हर्षित, अशफाक खान, देवशंकर आर्या, मनोज रोशन, डॉ इंद्रभूषण आदि मौजूद थे.
(नि. सं.)
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