इस दौरान शिव शिष्य परिवार के बड़े भाई परमेश्वर जी सहरसा ने अपने प्रवचन प्रबोधन में सत्यम शिवम सुंदरम की व्याख्या करते हुए कहा कि संसार में अगर कुछ सत्य है तो शिव हैं तथा मनुष्य शिव को प्राप्त कर जीवन में गलतियां नहीं करता. आज मानव की संकीर्णता वैमनस्यताओं को समाप्त करने हेतु शिव शिष्यता के उद्घोषक श्रीहरिद्रानंद साहब एवं दीदी नीलम आनंद जी के संदेश आओ चलें शिव की ओर को जन-जन के हृदय में उतारकर शिव भाव का आवेश जगाना होगा. जिससे आदमी का जीवन सुखमय शिवमय और आनंदमय हो सके.
इस दौरान शिव चर्चा में गुरु बहनों ने महादेव को अपना गुरु मानते उनके नियमों को जीवन में आत्मसात करने की अपील की. उन्होंने लोगों से कहा कि शिव जगत के गुरु हैं. संसार के जितने भी प्राणी हैं सभी उनके शिष्य हैं. यदि हम उन्हें गुरु भाव से याचक बनकर दया मांगे क्षमा मांगे तो हमारा कल्याण होगा. इस संसार के एक एक मनुष्य उनके शिष्य बन कर उन्हें गुरु का भाव दे तो पूरे जगत का कल्याण निश्चित ही सुगमता से हो पाएगा. इतना ही नही वेद पुराण रामचरित मानस जैसे महाकाव्य में महाकाल शिव को नमन वंदन करते हुए गुरु रूप में स्वीकार है. गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेष्वर गुरुर साक्षात परब्रह्म तस्मे श्री गुरुदेवे नमः अर्थात गुरु ब्रह्मा के समान गुरु विष्णु के समान तथा गुरु महेश्वर शिव के समान होना चाहिए. हम उन्हें नमन करते हैं प्रणाम करते हैं. शिव से जुड़ने के लिए केवल भावना की जरूरत है और भगवान के साथ त्रिविधा सूत्र को अपना कर अपने जीवन को एक अध्यात्मिक सूत्र में बांधकर इस भवसागर से पार होने का महामंत्र है.
वहीं दीदी नीलम आनंद के जन्मोत्सव पर शिव शिष्यों ने पौधारोपण किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में राजकुमार गुड्डू, प्रणव, संजय, बृजेश, राजेश, सुनील, मनोज, राजकुमार, पूनम, मीरा, रंजना आदि गुरु भाई गुरु बहना का पूर्ण सहयोग रहा.
![एक दिवसीय "शिव मेरे गुरु" आध्यात्मिक परिचर्चा का आयोजन](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiMPioVXlsy5PG2Yswgfk0XYtmltwBG7D2c8o1tUpntZ_joI4vuP1YvknslTAOX6JMrETUJ_iucDRIz1iXUBFIgX6Y3alzgJuRDh7ZFZ2WZDJVnWFudgOFRRIX8Q0I6ShhStZoNi9mNqdLFbb3jcXeOvmuidQRusQyrXhfZfEz69OEbhjntmkdOtpPuO3k/s72-c/WhatsApp%20Image%202023-07-24%20at%205.19.30%20PM.jpeg)
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