खेतों तक बिजली नहीं पहुँचने के कारण किसान निजी पंपसेट से महंगी सिंचाई करने को विवश

मधेपुरा जिले के घैलाढ़ प्रखंड क्षेत्र में किसानों के खेतों तक बिजली नहीं पहुंचने के कारण आज भी किसानों को महंगे दामों पर पंपसेट से सिंचाई करना पड़ता है. सरकार के लाख दावे के बावजूद किसानों के खेतों तक बिजली नहीं पहुंच सकी. ऐसे में किसानों को हर सीजन में फसल खराब होने का खतरा बना रहता है. जबकि सरकार द्वारा कृषि कार्य के लिए सस्ते दर पर बिजली उपलब्ध कराने के लिए खेतों तक विद्युत कनेक्शन पहुंचाने की घोषणा बार-बार की जाती है लेकिन वर्षों बाद भी क्षेत्र के सैकड़ों हेक्टेयर खेतों तक बिजली नहीं पहुंचने से महंगी लागत पर किसान खेती करने को विवश हैं. 

प्रखंड के लगभग सभी गांव में किसान पटवन को लेकर परेशान हैं. जबकि 60% किसान मोटर कनेक्शन ले चुके हैं. किसानों को कनेक्शन का बिल भी आता है. इसलिए किसान घरेलू बिजली ट्रांसफार्मर से खेतों तक निजी तार खींच कर ले जाते हैं जो कि झूलते तार खतरे का सबब बना हुआ है. इस दौरान कई किसानों की मौत हो चुकी है. जिससे विभागीय लापरवाही की पोल खुल रही है. ऐसे में बिजली विभाग के अधिकारी जब जांच करते हैं तो चोरी का मुकदमा बनाया जाता है. लगभग हर साल 25 से 30 किसानों पर मुकदमा बनाते हैं, ऐसे में किसान कहां जाएं. प्रखंड के लगभग सभी गांवों में किसान पटवन को लेकर परेशान हैं. आज तक शिविर लगा कर किसानों को खेती के लिए कनेक्शन नहीं मिला. किसानों ने जैसे तैसे पैसा खर्च कर कनेक्शन तो ले लिया है लेकिन खेतों तक बिजली उपलब्ध ही नहीं है. 

प्रखंड क्षेत्र के चित्ती पंचायत के चिकनोटवा गांव वार्ड 10 के किसान बलराम यादव, रजनीकांत यादव, रंजन देवी, पन्नेलाल यादव, सिकंदर यादव, अनिल यादव आदि दर्जनों किसानों ने बताया कि क्षेत्र में कई साल बिजली को आना हो गया है लेकिन खेतों तक कनेक्शन नहीं मिला. फसल को निजी पंपसेट से महंगे दामों में सिंचाई करना पड़ता है या तो बगल के टोला से बिजली लाकर मोटर चलाना पड़ता है. जबकि खेत तक पोल तो आया है लेकिन कई वर्ष बीत जाने के वाबजूद तार नहीं पहुंचने के चलते किसान जैसे-तैसे बांस के सहारे तार खींचकर खेत तक ले जाते हैं. यह खुलेआम मौत को आमंत्रण देने के समान है. इतना ही नहीं इसमें निगरानी नहीं रहने पर चोरों के द्वारा तार भी काट लिया जाता है. इतना ही नहीं कई गांवों के किसानों ने विद्युत विभाग के सहायक अभियंता को हस्ताक्षर युक्त आवेदन देकर खेतों तक पोल पर तार लगाने की गुहार लगाई लेकिन आज तक स्थिति यथावत है.

संसाधनों की कमी का हवाला दे रहा विभाग

इस संबंध में वरीय अधिकारी प्रोजेक्ट से शिकायत करने पर वे अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. कई गांवों के किसानों ने विद्युत विभाग के सहायक अभियंता को हस्ताक्षरयुक्त आवेदन देकर खेतों तक पोल गाड़ने की गुहार लगाई लेकिन आज तक स्थिति यथावत है. इस संबंध में बिजली विभाग के कनीय अभियंता मो. अहमद अली ने बताया कि कृषि कार्य के लिए कनेक्शन लेने वाले सभी किसानों के खेतों तक बिजली के पोल-तार संसाधनों की कमी के कारण पहुंचाने में विलंब हो रहा है. किसानों के खेतों तक बिजली पहुंचाने के लिए प्रयास जारी है.

खेतों तक बिजली नहीं पहुँचने के कारण किसान निजी पंपसेट से महंगी सिंचाई करने को विवश खेतों तक बिजली नहीं पहुँचने के कारण किसान निजी पंपसेट से महंगी सिंचाई करने को विवश Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 27, 2023 Rating: 5

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