जीनियस टीचिंग पॉइंट कोचिंग के सह-संचालक ब्रजेश कुमार ने कहा कि अम्बेडकर के विचारों पर चलकर भारत को विश्वगुरु बनाया जा सकता है. छात्रों के सबसे बड़े प्रेरणा श्रोत हैं डॉ. अम्बेडकर. ब्रजेश कुमार ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर पर प्रकाश डालते हुये बताया कि भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू, मध्यप्रदेश में महार जाति में हुआ. पिता का नाम रामा जी मोलोजी सकपाल माता भीमवाई तथा पत्नी रामावाई थी. भीमराव अम्बेडकर का जीवन काफ़ी कठिनाई भरा रहा. छुआछूत का भेदभाव चरम पर होने के कारण अम्बेडकर जी को शिक्षा ग्रहण करने में काफ़ी कठिनाइयों से गुजरना पड़ा. बाद के दिनों में जब उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए अम्बेडकर जी अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी जानना चाहते थे तो बड़ौदा के तत्कालीन महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय ने आर्थिक मदद किया.
अम्बेडकर ने मनावधिकार के क्षेत्र में दलितों, आदिवासियों के मंदिर में प्रवेश, सार्वजनिक स्थलों से पानी भरने, छुआछूत जैसी कुरीतियों को मिटाने का काम किया. अंबेडकर ने शिक्षा पर जोर देते हुए कहा था कि "शिक्षा उस शेरनी का दूध है, जो जितना पिएगा उतना दहाड़ेगा"
जब भारत का संविधान बनाने की बात आई तो संविधान सभा के प्रारूप समिति का अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को बनाया गया. भारत सरकार द्वारा मरणोपरांत 1990 ई. में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को "भारत रत्न" से सम्मानित किया गया.
इस अवसर पर संस्था द्वारा छात्र-छात्राओं के बीच टॉफियां वितरण की गई. प्रभू महतो, चंद्रहास कुमार, नीरज कुमार, विकास कुमार, डेविस राज, नीतीश, अखिलेश कुमार आदि शिक्षक उपस्थित थे.
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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April 14, 2023
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