प्री. सबमिशन फीस पांच हजार की जगह तेरह हजार होना तानाशाही फरमान
पत्र में एआईएसएफ नेता राठौर ने कहा कि पीएचडी थिसिस समिशन शुल्क 2016 रेगुलेशन के आधार पर पांच हजार के बजाय तेरह हजार लेना मनमानी और नाइंसाफी की पराकाष्ठा है. जब सारी प्रक्रिया 2016 रेगुलेशन के अंतर्गत हो रही है फिर इसमें भेद क्यों. इससे जहां छात्रों का आर्थिक बोझ बढ़ेगा वहीं आक्रोश भी. विश्वविद्यालय की पहल छात्र के हित में पहल की होनी चाहिए न कि परेशान परेशान करने की.
बीएड प्रकरण को सुलझाने के बजाय उलझा रहा विश्वविद्यालय
विगत तीन वर्षों के बहुचर्चित बीएड प्रकरण पर विश्वविद्यालय की सोच पर आपत्ति जताते हुए राठौर ने कहा कि कोर्ट के निर्णय और सीनेट द्वारा गठित जांच टीम से दोषी करार के बाद भी दोषियों पर पहल नहीं होना तानाशाही रवैया को दिखाता है. दोषी पदाधिकारी को बचाने के लिए अन्य सत्रह छात्रों का भविष्य दांव पर लगाते हुए उन्हें कोर्ट में फंसा दिया गया. वहीं बीएनएमयू परिसर के शिक्षा शास्त्र विभाग में शिक्षक, कर्मचारी, छात्र अनुपात से अधिक फीस लिए जा रहे हैं. लगातार मांग के बाद नन टीचिंग स्टाफ की बहाली नहीं की जा रही है. फ्री गर्ल्स, एससी एसटी एजुकेशन का सरकारी फरमान को बीएनएमयू मानों चिढ़ा सा रहा है. विभिन्न स्तरों पर खुलेआम फीस लिया जा रहा है. सरकार से इस मद में राशि प्राप्ति हेतु अत्यावश्यक समान शुल्क को अब तक लागू नहीं किया जा सका. गर्ल्स हॉस्टल पर बीएनएमयू प्रशासन अपने दावों और वादों से मजाक का पात्र सा बन गया है.
एआईएसएफ को सदन पर विश्वास, छात्रहित में सदन होगा गंभीर
पत्र द्वारा राठौर ने संगठन द्वारा मांग किया है कि इन मुद्दों को सदन में बहस का हिस्सा बनाया जाए और विश्वविद्यालय अपना रुख साफ करे. राठौर ने कहा कि संगठन सदन के रुख का इंतजार कर रहा है. संगठन को सदन के प्रति पूरी आस्था है कि इन मुद्दों पर सदन गंभीरता दिखाएगा. वहीं राठौर ने कहा कि अगर सकारात्मक नतीजे नहीं आए तो आंदोलन का शंखनाद होगा.
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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February 16, 2023
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