इसमें स्त्री-पुरूष के मधुरतम संबंध दाम्पत्य के रूप में सामने आता है। स्त्री का पति को प्रदेश न जाने देने की सहज इच्छा, उनका आभूषण प्रेम और पति की विवशता का रमणीय दृश्य दिखाया गया है। आज के टूटते बिखरते वैवाहिक जीवन के विरुद्ध नृत्य-नाटिका में गरीबी, नोंक-झोंक के बावजूद प्रेम और शाश्वत वैवाहिक जीवन को सृजन दर्पण के रंगकर्मियों ने मंचन में दिखाया। यही हमारी संस्कृति का मूल है। नृत्य-नाटिका के मुख्य किरदार में युवा रंगकर्मी और निदेशक बिकास कुमार एवं स्नेहा कुमारी की संदेहास्पद प्रस्तुति को फिजी में भारत सरकार के पूर्व सांस्कृतिक राजनीतिक प्रोफेसर डॉ.ओमप्रकाश भारती, मशहूर नृत्यांगना गुरु मोनालिसा घोष, आचार्य आनंद मिश्रा, प्रोफेसर डॉ.अशोक कुमार, मंजूषा गुरु मनोज पंडित, आयोजन समिति के सचिव डॉ. महेन्द्र कुमार, विनाय कशोधन,सुभाष चन्द्र आदि ने खूब सराहा।संचालन रंगकर्मी अजय अंकोला ने किया। प्रस्तुति को सफल बनाने में आंकाक्षा प्रिया और स्वाति प्रिया ने अहम भूमिका निभाया।
इस मौके पर मौजूद दशकों एवं कलाप्रेमियों का कलाकारों ने अपनी संदेहास्पद प्रस्तुति से दिल जीत लिया। कार्यक्रम के अंत में बेहतरीन प्रस्तुति के लिए सभी कलाकारों को अतिथियों के द्वारा सम्मानित किया गया।

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