मुल्क के नामवर खतिब हज़रत मौलाना डाक्टर आरिफ इकबाल साहब मधुबनी ने संबोधित करते हुए कहा कि आज हमारे दिलों में ना अल्लाह का खौफ रहा और ना पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मुहब्बत रही। जब दोनों चीज बंदों के दिलों में रहे तो वह बंदा दोनो जहां में कामयाब है। अगर यह दोनों चीज जिसके पास मौजूद नहीं है,वह हर वक़्त परेशान रहा करता है। उन्होंने कहा कि आज की इस दौर में हर माता-पिता को चाहिए के अपने बच्चों को दीनी और दुनियावी दोनों तालीम दिलवाने की जरूरत है क्योंकि तालीम के बगैर जिंदगी अधूरी है। जब इल्म रहेगा तो वह शख्स हमेशा अच्छा काम करता हुआ नजर आएगा। तालीम पाने के बाद ही ईशान एक अच्छे और बुराई का पहचान कर सकते हैं। जिससे एक दूसरे लोगों को अच्छे राह दिखा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हर शख्स को चाहिए के पैगंबर इस्लाम की जीवनी के नक्शे कदम पर चला जिस तरह पैगंबर ने हर एक इंसान छोटे-बड़े से मोहब्बत की और उनका सम्मान किया। हम सबों को चाहिए के पैगंबर के इस नक्शे कदम पर चल कर अपनी और अपनी समाज को तरक्की दिलाने में भरपूर कोशिश करें।
शायरे इस्लाम जफीर आलम पूर्णिया एवं हाफीज व कारी मुज्जफर अंजुम मुजफ्फरपुरी ने अपने नातिया कलाम से लोगों को बाग बात किया। मौलाना अबू साले फरीदी, मौलाना बदरुजमा सिद्दीकी, मौलाना अब्बास, मौलाना अनवार आलम , मौलाना मंसूर आलम, हाफीज सोहेल आदि ने संबोधित किया। जबकि नकाबत हाफीज तनजीर ने की। मौके पर मुखिया प्रतिनिधि इमदाद आलम, शिक्षक चांद अली,अयुब आलम,फैयाज आलम, खुर्रम अली,इसाक, मंसूर आलम आदि कार्यकर्ता की विधि व्यवस्था में अहम भूमिका निभाई।

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