उक्त जानकारी संस्थापक सचिव रंगकर्मी विकास कुमार ने दी. मौके पर उन्होंने कहा कि स्वरकोकिला लता मंगेशकर के निधन से संगीत और मानवता के क्षेत्र में देश और समाज को अपूरणीय क्षति हुई है. उन्होंने कहा कि इस संसार में जब तक संगीत है तब तक उनका गीत सुना जाएगा. वे हर भारतीय के दिलों में हमेशा अमर रहेंगी. डॉ. भूपेन्द्र ना. यादव मधेपुरी ने कहा कि लताजी के जाने से भारतीय संगीत का हीरा खो गया है. उनकी आवाज़ सदैव गूंजती रहेगी. प्रोफेसर शचींद्र ने कहा कि सदियों में ऐसी प्रतिभा अवतरित होती है. सुरों को चरम उत्कर्ष पर पहुँचाने वाली स्वर कोकिला के जाने से वह स्वर्गीक सुर-लहरी प्रत्यक्ष भले न सुन पाये लेकिन उनके गाये गीत अमर रहेंगे. प्रो.अरूण कुमार बच्चन ने कहा कि लता दीदी को ऐसा स्वर-कंठ मिला जिससे निकलने वाले गीत के बोल कालजयी बनते गए. प्रोफेसर विनय कुमार चौधरी ने कहा संगीत में हृदय को रमाने की क्षमता होती है. इसका सहज अनुभूति लताजी के किसी गाने में कर सकते हैं.
इस अवसर पर डॉ. आलोक कुमार, प्रोफेसर मणिभूषण वर्मा, प्रोफेसर सी.के. रीना, सियाराम मंयक, महेंद्र ना. मंडल, दिनकर कुमार, सौरभ कुमार, आलोक कुमार, खुशी, मनिषा, मुन, शिवाली, अभिलाषा, अभिषेक एवं धिरज आदि ने श्रद्धांजलि दी.
No comments: