बीते रविवार को सुपौल जिले के प्रतापगंज थाना क्षेत्र के एक पंचायत में दरिंदे द्वारा ढाई वर्ष की बच्ची के साथ इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना को अंजाम दिया गया. रविवार की रात घर में सोई ढाई वर्षीया बच्ची के साथ पड़ोस के एक युवक उसके साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया. इतना ही नहीं सोनू नाम के लड़के जिसे पुलिस हिरासत में ले चुकी थी वह पुलिस हिरासत से फरार होने में कामयाब रहा.
वहीं उन्होंने कहा कि अररिया जिले में बलात्कार के एक आरोपी बड़े आराम से जिंदगी जी रहा था. हमने जब पुलिस को कहा कि अगर आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होती है तो हम उसे मार देंगे तब पुलिस जाकर उसे गिरफ्तार करती है और हमने न्यायालय में स्पीडी ट्रायल मांग कर उस आरोपी को फांसी की सजा तक पहुंचाने का काम किया. मुजफ्फरपुर के वरुणा बलात्कार केस, शेल्टर हाउस की इतनी बड़ी घटना की जांच हुई, क्या हुआ कौन पदाधिकारी और कौन नेता नहीं उसमें सम्मिलित थे. एक अन्य मामले में 7 आदमी 7 रात 1 बच्ची को रखता है फिर उसे नेपाल में जाकर मार देता है. जब मैं आऊंगा तो इसे रिओपन कर आरोपियों को सजा दिलवाने का काम करूंगा. बलात्कार सबसे ज्यादा गरीब तबके के बच्चियों के साथ होता है, बड़े लोगों के बच्चों के साथ कहां ऐसा होता है.
वहीं गया के बेलागंज की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि वहां तालिबानी हुकूमत से भी क्रूर कानून चल रहा है. सुपौल के मामले में पुलिस कहती है कि नाबालिग था इसलिए हाजत में नहीं रखा और वहां पुलिस संरक्षण में एक कमरे में था. वहां से फरार हो गया, यह क्या व्यवस्था है.
विधि व्यवस्था पर और पुलिसिंग व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले दिनों स्पीकर लाचार दिखे. संजय जयसवाल बीजेपी अध्यक्ष लाचार दिखे. राजीव प्रताप रूडी लाचार है. छेदी पासवान एक स्पीकर का ऐसा स्टेटमेंट है. इधर सारे थाना की पोस्टिंग बालू माफिया के इशारे पर हुई है. थानेदार एक स्पीकर का फोन नहीं उठाता, एक स्पीकर थाना प्रभारी की बात नहीं सुनता तो फिर जनता की क्या सुनेगा.
आज यहां प्रदेश में विपक्ष की भूमिका जैसे सुन्न हो गई है. विपक्ष हमेशा नाखून काट कर शहीद होना चाहता है. आज उनके पास 75 एमएलए हैं पर क्या विपक्ष की भूमिका में नजर आते हैं.
वहीं किसानों की समस्या को उठाते हुए उन्होंने कहा कि आज किसान ट्रेन रोकते हैं तो घर की महिलाएं लाइन में लगी रहती है रात रात भर, फिर भी खाद नहीं मिलता. 61 लाख टन बिहार को यूरिया की आवश्यकता थी. हम, हमारे राज्य की टैक्स के पैसे मांगे तो यह नहीं देते हैं. कहने को तो यह एक करोड़ दो करोड़ 10 करोड़ करते थे. जैसे हिमाचल और उत्तराखंड के टैक्स की माफी की गई है, हमारे भी टैक्स माफ कर दो तो इन्हें दर्द होता है.
जब फसल बुवाई के सीजन खत्म हो जाते हैं तब आप खाद आवंटित करते हो. वह खाद ब्लैक मार्केटिंग हो जाती है. कुछ नेपाल चले जाते हैं कुछ बिचौलियों के हाथ चले जाते हैं. लगभग 30% से अधिक गेहूं की बुवाई खाद के अभाव में ठप रही. मक्के की भी स्थिति वहीं रह रही है. आज खाद के कारण मक्के की फसल बर्बाद हो रही है. किसान का गेहूं और मक्के के पटवन में पैसा जा रहा है पर खाद नहीं मिलने पर क्या फसल होगा, वह तो बर्बाद हो जाएगा. महाजनी बढ़ जाएगी और वह खुदकुशी के कगार पर पहुंच जाएगा.
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