आक्रोश: यूरिया व डीएपी के लिए किसानों में मचा हाहाकार, घंटों एनएच जाम

 मुरलीगंज प्रखंड में किसान में यूरिया और डीएपी हाहाकार मचा हुआ है। जब तक खाद का रेक नहीं पहुंच जाता तब तक यूरिया की किल्लत बनी रहेगी. किसानों का कहना है कि खेती सीजन बीत जाने के बाद या फसल खराब होने के बाद किसान यूरिया लेकर क्या करेंगे। किसानों में दिनोंदिन आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

ऐसे ही आज किसानों के आक्रोश का कोप भाजन मुरलीगंज एनएच 107 के किनारे मधेपुरा पूर्णिया सीमा क्षेत्र पर बने बिस्कोमान भवन के सहायक गोदाम प्रबंधक दीपक कुमार को बनना पड़ा. रात के 2:00 बजे से हैं महिला और पुरुष बिस्कोमान भवन के आगे से लाइन लगाकर खड़े थे. कई महिलाओं ने तो बताया कि वह रात में 2:00 बजे से ही पुआल बिछावन एक चादर के सहारे सारी रात काटी है और अभी दिन के 10:00 बजे तक खाद का वितरण प्रारंभ नहीं हुआ है.

ऐसे में किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा था. मुरलीगंज प्रखंड अंतर्गत क्षेत्र के किसानों को अब यूरिया की किल्लत ने परेशान कर रखा है। सुबह होते ही जहां बाजारों में बड़ी संख्या में किसान खाद खरीदने के लिए पहुंच जाते हैं। अधिकतर महिलाएं घर का चूल्हा चौका बाजार बाजार में दिनभर खाद के लिए भटकती रहती है. इसका अंदाजा आज मुरलीगंज बिस्कोमान भवन मैं देखने को मिला जहां महिलाएं लाइन में खड़ी होने के लिए आपस में झगड़ पड़ी।




मुरलीगंज नगर पंचायत क्षेत्र के वार्ड नंबर 8 में शिवानी खाद बीज भंडार की दुकान की पिछले दिनों अनियमितता पाए जाने के मामले में अनुज्ञप्ति रद्द करने की कार्रवाई की गई है. उनके यहां 600 से अधिक यूरिया की खाद की बोरियां को जिला कृषि पदाधिकारी के आदेश पर किसानों के बीच वितरण करवाई जाने की बात सामने आई तो आज किसान आपस में ही उलझ पड़े. यहां तक की मामले में दो बार मुरलीगंज थाने से पुलिस फोर्स को भेजा गया। फिर भी किसानों के हंगामे के कारण वितरण को बंद करना पड़ा. दोपहर बाद मुरलीगंज थाना अध्यक्ष अखिलेश कुमार ने खाद वितरण की कमान स्वयं संभाल ली और तब जाकर किसानों का हंगामा शांत हुआ और सड़क जाम खुला.

इतना सा खाद ऊंट के मुंह में जीरे का फौरन साबित हुआ

पिछले एक सप्ताह से मुरलीगंज नगर पंचायत क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के सभी खाद दुकानों से यूरिया खाद पूरी तरह नदारद है। बड़ी संख्या में किसान जब बाजार में खाद दुकानों के संचालकों से पूछते हैं कि यूरिया कब मिलेगा। तो संचालक भी इसका जवाब नहीं दे पाते है। अधिकारियों को मोबाइल पर फोन लगाया जाता है तो उनसे बात तक नहीं हो सकती है कि यूरिया कब मिलेगा। जिन किसानों ने खेत में गेहूं फसल की बुआई कर दी है उन लोगों को तो गंभीर समस्या उत्पन्न होने लगी है। मौसम विभाग के अनुसार अगले 29 और 30 दिसंबर को पूरे बिहार में बारिश होने की संभावना जताई गई है। अगर बरसात हो जाती है तो सभी किसान को एक साथ ही यूरिया की जरूरत होगी लेकिन बाजारों में यूरिया किसी भी दुकान में नहीं है। यही सोचकर किसान घबरा रहे. 

ऐसे मैं किसानों के आक्रोश का कोप भाजन बिस्कोमान के सहायक गोदाम प्रबंधक दीपक कुमार के साथ हुआ जब वे सुबह 10:00 बजे गोदाम पहुंचे और लाइन में लगे किसानों को वितरण शुरू किया तो किसान आपस में ही उलझ पड़े और मामले में ना तो पुलिस की सुनी ना ही गोदाम प्रबंधक की ऐसे में बिस्कोमान भवन गोदाम प्रबंधक ने वितरण बंद कर दिया थाने से पुलिस फोर्स और पदाधिकारी के पहुंचने पर वितरण शुरू हो पाया.

मौके पर मौजूद किसान सज्जन कुमार यादव घर से सिंगयान ने बताया कि वह 2:00 बजे से रात से ही लाइन में लगे हैं उनके गांव की महिलाएं भी लाइन में खड़ी है। 

अब जब रबी फसल के सीजन के शुरुआत से ही बुआई से लेकर यूरिया तक के खाद के लिए किसानों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है। छोटे किसान तो लाइन में लगकर किसी तरह एक आध बोरे यूरिया ले भी चुके हैं. लेकिन जो बड़े किसान हैं जिन्हें 25 से 50 बोरी यूरिया की जरूरत पड़ती है वैसे किसान में तो हाहाकार मचा हुआ है। सूत्रों की मानें तो जब तक खाद का रेक नहीं पहुंच जाता तब तक यूरिया की किल्लत बनी रहेगी. आखिर सवाल उठता है कि खेती सीजन बीत जाने के बाद या फसल खराब होने के बाद किसान यूरिया लेकर क्या करेंगे। किसानों में दिनोंदिन आक्रोश बढ़ता जा रहा है। किसानों का कहना है कि सरकार खेती को लेकर इस बार पूरी तरह फेल दिख रही.

मामले में बिस्कोमान के सहायक प्रबंधक दीपक कुमार ने बताया कि उनके पास पिछले दिनों पंद्रह सौ बोरी डीएपी और 658 बोरी मिक्सचर खाद ही उपलब्ध है. यूरिया अब 15 जनवरी से पहले आने की संभावना नहीं दिखती.

दिसंबर खत्म होने को है को है और आधे से ज्यादा खेत खाद के अभाव में खाली पड़े 

दिसंबर महीना बीतने को है लेकिन अधिकतर खेत खाद के अभाव में खाली पड़े हुए है। जबकि कुशल कृषकों का मानना है कि नवंबर के अंतिम सप्ताह तक रबी फसल की खेती करीब—करीब पूरी हो जाती है। इस बार खाद की किल्लत के कारण शुरुआत में जहां किसानों को डीएपी नहीं मिल सकी । जिस कारण बआई में दिक्कत हुई। जिन किसानों ने किसी तरह कुछ डीएपी खाद से तो अधिकतर मिक्सर खाद डालकर बुआई की है। अब उनके समक्ष यूरिया की किल्लत उत्पन्न होने से परेशानी बढ़ गई है। एक तो देर से बुआई हुई है और यूरिया नहीं मिलने से पटवन के बाद अगर समय पर यूरिया नहीं डाला गया तो फसलों के पौधे पूरी तरह खराब होने की अच्छी पैदावार होने की संभावना नहीं दिखती.



आक्रोश: यूरिया व डीएपी के लिए किसानों में मचा हाहाकार, घंटों एनएच जाम आक्रोश: यूरिया व डीएपी के लिए किसानों में मचा हाहाकार, घंटों एनएच जाम Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 27, 2021 Rating: 5

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