स्पेशल रिपोर्ट: बाल श्रम मानवता एवं समाज के लिए भी अभिशाप / कौस्तुभा

वर्तमान समय में वैश्विक कोरोना महामारी की वजह से हर किसी पर आर्थिक दबाव बढ़ा है कोरोना संक्रमण वैश्विक स्तर पर व्याप्त है और ऐसे में मजदूर तो श्रम करने बाहर जा रहे हैं ताकि आर्थिक तंगी कम हो सके. 

वहीँ ऐसे में कोई मजदूर के अलावा कहीं बाल श्रम का प्रयोग न करने की न सोचे, जो कि एक गंभीर सामाजिक समस्या है. यह देश के साथ-साथ मानवता एवं समाज के लिए भी अभिशाप है. बच्चे अगर कहीं श्रम करते देखे जाते हैं तो इससे उस राज्य या देश की आर्थिक स्थिति का पता लगाया जा सकता है. बाल श्रम की इस कुप्रथा को समाप्त करने में सरकार के अलावा हम सब को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी कि इसे कैसे खत्म किया जाए. ज्ञातव्य हो कि 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस हर साल मनाया जाता है. इसकी शुरुआत आईएलओ के द्वारा 2002 में की गई.

जानें बाल श्रम क्या है ?

इसमें उन बच्चों को शामिल किया जाता है जिन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार, राष्ट्रीय कानून द्वारा परिभाषित न्यूनतम कानूनी उम्र से पहले किसी व्यवसायिक कार्य में लगाया जाता है.

देखा जाए तो सामान्यत: बाल श्रम को ऐसे पेशे या कार्य के रूप में परिभाषित किया जाता है जो बच्चे के लिए खतरनाक तथा नुकसानदायक होता है. ऐसे कार्य जो बच्चों को स्कूली शिक्षा से वंचित करता है या जिस कार्य में बच्चों के दोहरे बोझ को संभालने की आवश्यकता होती है. भारत में  बाल श्रम में अनुमानित 152 मिलियन बच्चे कार्यरत हैं, जिनमें 73 मिलियन बच्चे आजीविका के लिए खतरनाक कार्यों को अपने ऊपर जोखिम लेकर उद्योगों में काम करने को मजबूर हैं।

हालांकि सरकार के द्वारा इस और कई पहल किए जा रहे हैं।

० बाल श्रम निषेध और रोकथाम संशोधित अधिनियम ( child labour prohibition and prevention amendment act 2016) लागू किया गया है।

० यह अधिनियम 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के सभी प्रकार व्यवसायिक कार्यो में लगाने पर प्रतिबंध है तथा 14 से 18 वर्ष के किशोरों पर खतरनाक व्यवसायियों में कार्यों में लगाने पर प्रतिबंध लगाता है।

० नए कानून में बच्चों के लिए रोजगार की आयु को अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम

(Right to education act- RTE), 2009 के तहत अनिवार्य शिक्षा को उम्र से जोड़ा गया है।

वहीं विश्व बाल श्रम निषेध  दिवस का उद्देश्य सामान्य तौर पर 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कार्य ना करा कर उन्हें शिक्षा दिलाने की और आगे लाना है.

वही इस और स्थिति को देखते हुए दीर्घकालीन समाधान के ऊपर काम करने से बाल श्रम जैसी कुरीति को हटाया जा सकता है जो कि एक वैश्विक समस्या है.

कौस्तुभा

अर्थशास्त्र

बी. एन. एम. यू मधेपुरा.

स्पेशल रिपोर्ट: बाल श्रम मानवता एवं समाज के लिए भी अभिशाप / कौस्तुभा स्पेशल रिपोर्ट: बाल श्रम मानवता एवं समाज के लिए भी अभिशाप / कौस्तुभा Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 14, 2021 Rating: 5

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