मुख्य सड़क हाट बाजार स्थित अधिकांश दुकानें बंद थी. गोल बाजार में भी इक्का-दुक्का दुकानें खुली थी. जबकि टेंपो रिक्शा एवं सवारी वाहन इक्के दुक्के की आवाजाही रही. 3:00 बजे के बाद जाम खुल गया.
दो पहिया वाहन चालक मोटरसाइकिल वाले पुल के बगल से होकर पैदल वाले रास्ते से निकल रहे थे. पुल पर कार्यकर्ताओं ने तीनों कृषि कानूनों के विरोध में जमकर नारेबाजी की और केंद्र सरकार को किसानों के मूल्य उत्पादन एवं कृषि सेवा अधिनियम के खिलाफ बताया. वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रखंड संयोजक के.के. सिंह राठौड़ ने कहा कि यह किसानों के खिलाफ कानून है और देश के पूंजीपति घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन कर भंडारण को छूट दी गई है. सीपीआई अंचल मंत्री मुरलीगंज ने कहा कि जब तक सरकार कृषि बिल को वापस नहीं लेती तब तक अनवरत आंदोलन चलता रहेगा. यह कानून किसानों के लिए काला कानून है.
वहीं राजद प्रखंड अध्यक्ष मो. मूसो ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने कोरोना महामारी के बीच जून में अध्यादेश लाकर जल्दबाजी से इसे सदन में पास करवाया जबकि इसकी आवश्यकता भी नहीं थी. मनमोहन सरकार के द्वारा 2012 में एक अच्छा प्रस्ताव लाया गया था जबकि वर्तमान कृषि कानून किसानों के हित के खिलाफ है.
मौके पर भाकपा प्रखंड संयोजक के.के. सिंह राठौड़, राजद प्रखंड अध्यक्ष मो. मुसो, सीपीआई अंचल मंत्री अनिल भारती, जन अधिकार के नगर अध्यक्ष बिट्टू सिंह, जन अधिकार छात्र नेता मयंक कुमार राजा, प्रखंड अध्यक्ष नरेश यादव, राजद किसान अध्यक्ष राजीव कुमार, राजद नगर अध्यक्ष रणधीर यादव, शशि चंद्र उर्फ गोल्डु यादव, अमित कुमार, नेपाली रजक, अरविंद कुमार, राजीव कुमार, उमेश यादव, प्रखंड अध्यक्ष रुद्र नारायण यादव, सुशील कुमार आदि सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे.
No comments: