डॉ मल्लिक ने एम बी बी एस करने के बाद पहले बेगूसराय और फिर मधेपुरा में प्रैक्टिस शुरू किया और धीरे धीरे लोकप्रिय चिकित्सक के रूप में हरदिल अज़ीज़ हो गए। 1985 से वे यहां चिकित्सा कार्य में संलग्न थे।
वे अपने पीछे अपनी पत्नी के अतिरिक्त तीन पुत्र और एक पुत्री को छोड़ गए हैं। उनके एक पुत्र सिंगापुर, दूसरे नागपुर और तीसरा दिल्ली में जॉब कर रहे हैं। उनकी पुत्री विवाहित है और पटना में रहती है। डॉ मल्लिक को गत चार दिसंबर को ऑक्सीजन की कमी, श्वांस लेने में कठिनाई आदि शिकायत के कारण पटना बेहतर इलाज के लिए ले जाया गया था। 8 दिसंबर को सुबह आठ बजे देहावसान के बाद पटना में ही उनका दाह संस्कार किया गया और छोटे पुत्र ने मुखग्नि दी। शेष क्रियाकर्म मधेपुरा में ही उनके निजी निवास में सम्पन्न होगी।

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