कार्यक्रम की शुरुआत ध्वज लगाने के साथ की गयी. संघस्थल पर उपस्थित लोगों ने ध्वज प्रणाम के बाद सभी लोग अपनी अपनी टोली में बंट गए. इसके बाद मुख्य शिक्षकों के द्वारा बच्चों को खेल-खेल में व्यवहारिक ज्ञान व संस्कार दिया गया.
उत्सव को संबोधित करते हुए उत्तर बिहार प्रांत के सह कार्यावाह जीवन कुमार ने कहा कि संघ के छह उत्सव में से एक महत्वपूर्ण उत्सव शरद पूर्णिमा भी है. जिसे संघ के लोग निरंतर मनाते आ रहे हैं. समाज को जोड़ने वाले जो भी उत्सव हैं वह सभी मिलकर मनाते हैं. इस पर्व की महत्ता को रेखांकित करते हुए उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा 16 कलाओं से पूर्ण होकर अमृत की वर्षा करता है. इस कारण लोग अलग-अलग सामग्री मिलाकर खीर बनाते हैं, और उसे रात भर खुले आसमान के नीचे रख देते हैं. फिर सुबह प्रसाद के रूप में खाते हैं.
उन्होंने वैश्विक महामारी पर चर्चा करते हुए बताया कि इस दौर में शाखा लगना पूरी तरह बंद था. फिर भी लोग सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए एक लाख परिवारों ने अपने-अपने घरों में ही परिवार के साथ शाखा लगाते रहे. उत्सव समापन के पश्चात प्रसाद के रूप में सबों को भरपेट खीर भी परोसा गया. कार्यक्रम में नगर सह संचालक बजरंग लाल लखोटिया, नगर कार्यवाह रिंकू कुमार, विपिन कुमार, सह नगर कार्यवाह आनंद जी, जिला बौद्धिक प्रमुख रविंद्र जी, जय कुमार जी, बोध नारायण जी, अंशु राज, अमित कुमार, विकास, सत्यम शिवम सुंदरम, सन्नी समेत सैकड़ों स्वयंसेवक शामिल हुए.
(रिपोर्ट: रानी देवी)
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