महिला सशक्तिकरण की प्रतीक थीं धाविका गीतांजलि: सादे समारोह में मनी 7वीं पुण्य तिथि

राष्ट्रीय स्तर की धाविका व 90 के दशक में बिहार की उड़नपरी एवं देश में गीतांजलि एक्सप्रेस के नाम से विख्यात गीतांजलि की सातवीं पुण्य तिथि उनके ससुराल कॉलेज चौक, रानीपट्टी मुहल्ला मधेपुरा में गुरूवार को सादे समारोह में मनाया गया. 

श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता करते हुए खेल प्रशिक्षक संत कुमार ने कहा कि गीतांजलि का जन्म सुदूर ग्रामीण परिवेश खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड में हुआ लेकिन उनका कर्मक्षेत्र मधेपुरा रहा. मधेपुरा जिला की ओर से खेलते हुए राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर दर्जनों गोल्ड मेडल देकर इस धरती का मान बढ़ाया. पृथ्वीराज यदुवंशी के संचालन में चले श्रद्धांजलि सभा में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए समाजसेवी डा. भूपेन्द्र यादव मधेपुरी ने कहा कि इस धरती पर करोड़ों-अरबों लोगों का जन्म होता है लेकिन उसमें कुछ खास लोग ही होते हैं जो अपने कर्म, लगन, तपस्या और मेहनत से बुलंदी को छूते हैं, उसमें गीतांजलि से उड़नपरी का नाम शुमार है. 

कहा कि गीतांजलि 1990 के दशक में मधेपुरा के विभिन्न खेल मैदानों में फर्राटे मारकर दौड़ती थी और लोग अपने दांतों तले उंगली दबा लेते थे. उनदिनों खासकर लड़कियों का सरेआम दौड़ना अपने आप में बड़ी बात थी. गीतांजलि ने खासकर खेल के क्षेत्र में मधेपुरा के नाम को राष्ट्रीय फलक पर पहुंचाने का कार्य किया लेकिन दुर्भाग्य है कि वह ज्यादे दिन हमारे बीच नहीं रह सकी लेकिन उनकी कृति आज भी हमारे जेहन में ध्रुव तारे की तरह चमक रही है. 

मौके पर टीपी कॉलेज के वरीष्ट शिक्षक व वि.वि. सिंडीकेट सदस्य डा. जवाहर पासवान ने कहा कि जो लोग प्रतिभावान होते हैं ईश्वर भी उन्हें अपने पास जल्दी बुला लेते हैं. गीतांजलि का असमय जाना मधेपुरा सहित पूरे बिहार के लिए अपूर्णीय क्षति है. मधेपुरा में गीतांजलि उस समय खेल के मैदान में शेरनी की तरह दहाड़ती थी जिस समय लड़कियां चौखट के भीतर रहती थीं. गीतांजलि के साथ-साथ और भी मधेपुरा की बेटियां मैदान में आने लगी और बिहार और देश में मधेपुरा खेल के क्षेत्र में अव्वल आने लगा. 

अतिथियों का स्वागत करते हुए गीतांजलि परिवार के सदस्य और समाजसेवी डा. आलोक कुमार ने कहा कि यह हमलोगों के लिए सौभाग्य की बात है कि गीतांजलि जैसी राष्ट्रीय स्तर की धाविका हमारी बहु हुई. उन्होंने कहा कि मधेपुरा में जब भी खेल का इतिहास लिखा जाएगा गीतांजलि का नाम स्वर्णाक्षरों में शुमार होगा. राधा-कृष्ण संगम ट्रस्ट के सचिव व प्रख्यात डा. आर.के पप्पू ने कहा कि गीतांजलि को मैं अपने छात्र जीवन से ही जानता हूँ तथा उस प्रतिभा पर मैं गर्व महसूस कर रहा हूँ. वो कड़ी मेहनत के बल पर पूरे देश में खेल के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई और राष्ट्रीय स्तर पर दर्जनों मेडल जीतकर बिहार समेत देश को गौरवान्वित किया. उन्होंने कहा कि मेधा किसी की बपौती नहीं होती, यह करके दिखाया गीतांजलि ने. वैसे एक आम धारना है कि प्रतिभाशाली लोग ज्यादे दिन तक नहीं टिकते लेकिन उनकी यादें हम सदा सहेज कर रखते हैं. 

डा. पप्पू ने मधेपुरा के आम खिलाड़ियों खासकर बेटियों को गीतांजलि से प्रेरणा लेने की बात कही. वि.वि. जूलोजी विभागाध्यक्ष डा. अरूण कुमार ने कहा कि उद्देश्य कितना भी बड़ा हो लेकिन अगर व्यक्ति उसे पूरा करने का संकल्प ले लेता है तो उसे पूरा कर दिखाता है. ऐसे ही जुनून की पक्की थी गीतांजति. उन्होंने कहा कि 1992-94 में जब टीपी कॉलेज के मैदान पर गीतांजलि दौड़ती थी तो उसे कई झंझावातों का सामना करना होता था लेकिन वे अपने लक्ष्य पर टिकी रही और एथलेटिक्स के राष्ट्रीय फलक पर सितारों की तरह चमकती रही तथा पूरे देश के खिलाड़ियों की प्रेरणश्रोत रही. 

गीतांजलि की उपलब्धियां : गीतांजति 1990 के दशक में लगातार 10 वर्षों तक बिहार एवं राष्ट्रीय स्तर पर एथलेटिक्स की दुनिया में छायी रही तथा बिहार की उड़नपरी से नवाजी गई तथा राष्ट्रीय स्तर पर उसे खेल की दुनिया में गीतांजलि एक्सप्रेस से जाना जाता रहा. गीतांजलि राष्ट्रीय स्तर पर 400, 800, 1500 एवं रोड रेस आदि प्रतियोगिता में दर्जनों मेडल जीतकर बिहार को गौरवान्वित करती रही. खेल प्रतिभा के दम पर उन्हें रांची के सीएमपीडीआई एवं जमशेदपुर के टेल्को एवं टिस्को कंपनी में नौकरी लगी. कुछ दिन बाद उनके खेल प्रतिभा को देखते हुए बिहार पुलिस में सीधी नियुक्ति मिली एवं सरकार उन्हें केवल खेल के लिए लगातार पुलिस खेल कैंप, जमशेदपुर में रखी. बिहार पुलिस के नौकरी के बाद भी गीतांजलि ने राष्ट्रीय पुलिस खेल प्रतियोगिता से लेकर राष्ट्रीय ओपन एथलेटिक्स प्रतियोगिता में अपने विभाग एवं राज्य का नाम रोशन किया. अपने जीवन के अंतिम काल में गीतांजलि पटना सचिवालय स्थित सीआईडी विभाग में बतौर पदाधिकारी कार्यरत थीं व अपने पीछे अपनी एक बेटी दामिनी एवं पति समीर को छोड़ गई हैं. उनके पति पटना जिला स्थित नौबतपुर में बतौर माध्यमिक शिक्षक कार्यरत हैं एवं बेटी दामिनी कोटा में रहकर ग्यारहवीं की पढ़ाई के साथ-साथ मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही है.

वहीं श्रद्धांजलि सभा में मुख्य रूप से जिला क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत भूषण उर्फ मुन्नाजी, प्राईवेट स्कूल एशोसियेशन के अध्यक्ष किशोर कुमार, सुशील कुमार, डा. आलोक कुमार, किशोर कुमार, सतीश कुमार, समीर कुमार, डा. ललन कुमार, चन्द्र भानू कुमार, समाजसेवी आनंद कुमार, संजीव उर्फ बंटूजी, अमरेश कुमार, रिंकी यदुवंशी, चित्रा, दामिनी के अलावे दर्जनों लोगों ने उपस्थित होकर उनके तैलचित्र पर माल्यार्पण किया.
(नि. सं.)
महिला सशक्तिकरण की प्रतीक थीं धाविका गीतांजलि: सादे समारोह में मनी 7वीं पुण्य तिथि महिला सशक्तिकरण की प्रतीक थीं धाविका गीतांजलि: सादे समारोह में मनी 7वीं पुण्य तिथि Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 07, 2020 Rating: 5

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