दिल में अगर जज्बा हो तो कुछ भी कर सकते है और मंजिल पाना आसान हो जाता है। बिहार की बेटियां भी हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी का परचम लहरा रही हैं. इसी कड़ी में अब नाम जुड़ गया है मधेपुरा जिले की नीतू कुमारी का।
पुरैनी मुख्यालय बाजार की बेटी व उदाकिशुनगंज के उदा गांव की बहू नीतू कुमारी ने महिला सशक्तिकरण की मिशाल पेश करते हुए दरोगा बन कर गांव ही नहीं पूरे जिले का नाम रौशन किया है।
दरोगा बनी पुरैनी प्रखंड मुख्यालय बाजार निवासी और चर्चित रहे भूतपूर्व सरपंच शहीद कुलानंद पंडित की बेटी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। जिसके सिर से बचपन मे ही पिता का साया उठ जाने के बाद उनकी मां श्रीमती दारूणा पंडित के द्वारा बड़ी ही मुश्किलो का सामना करते हुए अपने सभी बच्चो को पढाना एक बड़ी चुनौती थी. मां ने हर मुश्किलो का सामना कर बच्चो को पढ़ाया । नीतू तीन भाई बहनों में सबसे छोटी है । नीतू बताती है की उनकी सफलता में उनकी मां के साथ-साथ उसके सास-ससूर व पति की अहम भूमिका है। नीतू के पति ईंजिनियर है।
लड़को को ही घर का चिराग समझने वाले समाज को सच्चाई का आईना दिखा रही यह बेटी इस पिछड़े ईलाके के लिए प्रेरणास्रोत बन गयी है। पुरैनी जैसे छोटे से बाजार से निकलकर नीतू उदाकिशुनगंज के उदा गांव बहू बनकर गयी । ससूर सेवानिवृत शिक्षक जामुन पंडित एवं ईंजिनियर पति चंदन कुमार चांद ने नीतू की पढाई को निरंतर जारी रखा और नीतू पटना में रहकर पढ़ाई कर आज सफलता हासिल कर पायी। नीतू की सफलता से पुरैनी व उदा दोनों गांव समेत पूरे इलाके में हर्ष व्याप्त है।

पुरैनी मुख्यालय बाजार की बेटी व उदाकिशुनगंज के उदा गांव की बहू नीतू कुमारी ने महिला सशक्तिकरण की मिशाल पेश करते हुए दरोगा बन कर गांव ही नहीं पूरे जिले का नाम रौशन किया है।
दरोगा बनी पुरैनी प्रखंड मुख्यालय बाजार निवासी और चर्चित रहे भूतपूर्व सरपंच शहीद कुलानंद पंडित की बेटी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। जिसके सिर से बचपन मे ही पिता का साया उठ जाने के बाद उनकी मां श्रीमती दारूणा पंडित के द्वारा बड़ी ही मुश्किलो का सामना करते हुए अपने सभी बच्चो को पढाना एक बड़ी चुनौती थी. मां ने हर मुश्किलो का सामना कर बच्चो को पढ़ाया । नीतू तीन भाई बहनों में सबसे छोटी है । नीतू बताती है की उनकी सफलता में उनकी मां के साथ-साथ उसके सास-ससूर व पति की अहम भूमिका है। नीतू के पति ईंजिनियर है।
लड़को को ही घर का चिराग समझने वाले समाज को सच्चाई का आईना दिखा रही यह बेटी इस पिछड़े ईलाके के लिए प्रेरणास्रोत बन गयी है। पुरैनी जैसे छोटे से बाजार से निकलकर नीतू उदाकिशुनगंज के उदा गांव बहू बनकर गयी । ससूर सेवानिवृत शिक्षक जामुन पंडित एवं ईंजिनियर पति चंदन कुमार चांद ने नीतू की पढाई को निरंतर जारी रखा और नीतू पटना में रहकर पढ़ाई कर आज सफलता हासिल कर पायी। नीतू की सफलता से पुरैनी व उदा दोनों गांव समेत पूरे इलाके में हर्ष व्याप्त है।

शहीद कामरेड कुलानंद पंडित की बेटी बनी दरोगा, बचपन में ही उठ गया था सर से पिता का साया
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 28, 2019
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