"पड़ते हैं जिस ओर चरण मेरे भूगोल उधर दब जाता है" राष्ट्रकवि दिनकर की यह पंक्ति मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड अंतर्गत गंगापुर पंचायत के निवासी सेवानिवृत्त बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जयशंकर प्रसाद यादव एवं श्रीमती अनीता देवी की बेटी डॉ मीनाक्षी की सफलता के संदर्भ में पूरी तरह प्रसांगिक है ।
मीनाक्षी फिलहाल 56 - 59 वीं बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में चयनित होकर वाणिज्यकर पदाधिकारी के पद के लिए प्रशिक्षण ले रही थी। शुक्रवार को 60 एवं 62 वीं बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा के अंतिम परिणाम घोषित किए गए। जिसमें 171 वां स्थान हासिल कर डॉ मीनाक्षी ने दूसरी बार धमाल मचाया. डॉ. मीनाक्षी का चयन बिहार प्रसाशनिक के लिए हुआ है. जाहिर है माता पिता के साथ साथ परिजनों में हर्ष व्याप्त है.
गौरतलब हो कि मीनाक्षी वाणिज्यकर पदाधिकारी बनने से पहले बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापक के लिए भी चयनित होकर एक वर्ष तक राम लखन सिंह महाविद्यालय बख्तियारपुर में भूगोल विषय के सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत थी. मीनाक्षी की प्रारंभिक शिक्षा कृष्णा निकेतन पटना और फिर पटना सेंट्रल स्कूल में अपना नामांकन करवाया. पटना सेंट्रल स्कूल से निकलने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक एवं स्नातकोत्तर किया तदुपरांत जेएनयू से डॉक्टरेट ऑफ फिलासफी पी एचडी की मानद उपाधि प्राप्त की।
लेकिन मीनाक्षी के हौसले की उड़ान अभी भी बाकी है.
कहती है अभी और उंचाई छूना बाकी है. वह अपनी सफलता का श्रेय माता पिता के साथ परिजन इष्ट मित्रों को देती है, जिनसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रेरणा मिलती रही. दृढ़ इच्छाशक्ति की धनी डॉ मीनाक्षी मानती है कि धैर्य के साथ उचित दिशा में किया गया प्रयास हमेशा फलीभूत होता है. असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए और लक्ष्य प्राप्ति के लिए ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है. खुशी से लबरेज माता पिता कहते हैं "बेटियां बेटों से कहां कमतर होती है."

मीनाक्षी फिलहाल 56 - 59 वीं बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में चयनित होकर वाणिज्यकर पदाधिकारी के पद के लिए प्रशिक्षण ले रही थी। शुक्रवार को 60 एवं 62 वीं बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा के अंतिम परिणाम घोषित किए गए। जिसमें 171 वां स्थान हासिल कर डॉ मीनाक्षी ने दूसरी बार धमाल मचाया. डॉ. मीनाक्षी का चयन बिहार प्रसाशनिक के लिए हुआ है. जाहिर है माता पिता के साथ साथ परिजनों में हर्ष व्याप्त है.
गौरतलब हो कि मीनाक्षी वाणिज्यकर पदाधिकारी बनने से पहले बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापक के लिए भी चयनित होकर एक वर्ष तक राम लखन सिंह महाविद्यालय बख्तियारपुर में भूगोल विषय के सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत थी. मीनाक्षी की प्रारंभिक शिक्षा कृष्णा निकेतन पटना और फिर पटना सेंट्रल स्कूल में अपना नामांकन करवाया. पटना सेंट्रल स्कूल से निकलने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक एवं स्नातकोत्तर किया तदुपरांत जेएनयू से डॉक्टरेट ऑफ फिलासफी पी एचडी की मानद उपाधि प्राप्त की।
लेकिन मीनाक्षी के हौसले की उड़ान अभी भी बाकी है.
कहती है अभी और उंचाई छूना बाकी है. वह अपनी सफलता का श्रेय माता पिता के साथ परिजन इष्ट मित्रों को देती है, जिनसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रेरणा मिलती रही. दृढ़ इच्छाशक्ति की धनी डॉ मीनाक्षी मानती है कि धैर्य के साथ उचित दिशा में किया गया प्रयास हमेशा फलीभूत होता है. असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए और लक्ष्य प्राप्ति के लिए ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है. खुशी से लबरेज माता पिता कहते हैं "बेटियां बेटों से कहां कमतर होती है."

मधेपुरा की बिटिया का दूसरा धमाल: बिहार प्रशासनिक सेवा (एस डी एम) के लिए मीनाक्षी का चयन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 02, 2019
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