कहीं दीप जले कहीं दिल: राजकीय समारोह स्थल के बगल में मधेपुरा के पहले सांसद किराय मुसहर का घर उपेक्षित

पिछड़ों के मसीहा बी. पी. मंडल के पैतृक गाँव मुरहो को बी. पी. मंडल के 100वीं जन्म शताब्दी के मौके पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार के आगमन को लेकर सजाया और संवारा जा रहा है. 


इतना हीं नहीं गाँव के चारों तरफ पूर्व से बने सड़कों का कालीकरण किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ समाधि स्थल से कुछ ही दूरी पर अवस्थित मधेपुरा के प्रथम सांसद किराय मुसहर के घर तक आने जाने का कोई सड़क व आम रास्ता नहीं है.

महादलित समुदाय के पूर्व सांसद किराय मुसहर के परिजन आज भी दाने-दाने को मुहताज हैं. महादलित समुदाय के प्रथम सांसद किराय मुसहर के घर में सरकारी स्तर पर सुलभ शौचालय की भी कोई व्यवस्था नहीं है. और तो और घर तक आने-जाने का भी कोई सड़क व आम रास्ता नहीं है. सांसद के परिजन किसी तरह मजदूरी कर गुजर-बसर करने पर हो रहे हैं मजबूर.

दरअसल किराय मुसहर 1952 और 1953 में मधेपुरा के प्रथम सांसद चुने गए थे. गरीबों के मसीहा माने जाने वाले किराय मुसहर के इमानदारी की चर्चा पूरे विधान सभा में होती रही है. सभी जाति के लोगों को हमेशा साथ लेकर चलने वाले महादलित समुदाय के सांसद किराय मुसहर का घर आज भी झोपड़ीनुमा ही है और पहले भी झोपड़ी ही थी. अहम् बात तो ये है कि आज तक इनके घर तक जाने का कोई रास्ता तक नहीं.

किराय मुसहर के घर में सरकारी शौचालय की व्यवस्था भी नहीं है जबकि बी.पी.मंडल साहब के पैतृक गाँव मुरहो में कई बड़े-बड़े राजनेता पहुंचकर इनके स्मृति पर पुष्प अर्पित किया करते हैं और सामाजिक न्याय की बात भी करते हैं, पर आज तक बगल में किराय मुसहर के घर की कोई सुधि लेने की जहमत तक भी नहीं उठा पाये हैं.

अब पूर्व सांसद किराय मुसहर के परिजन को है बिहार के मुखिया नितीश कुमार से उम्मीद है. सांसद पुत्र की माने तो एक बार जब तक मुख्यमंत्री जी का इस ओर नहीं होगा ध्यान तब तक पूर्व सांसद के परिजनो का नहीं हो सकता है कोई कल्याण.

वहीं शिक्षाविद प्रो. श्यामल किशोर 
यादव की माने तो मधेपुरा के प्रथम सांसद किराय मुसहर के चुने जाने के बाद मीडिया के लोगों ने पूछा था कि आपकी क्या मांग क्या है तो सांसद किराय मुसहर ने कहा था मुझे सिर्फ चाहिए पेरा और हमारे किसानों के लिए चाहिए पानी. यानी मिथला के ठेठ भाषा में किराय मुसहर ने कहा कि मुझे चाहिए रास्ता. लेकिन 58 साल बाद भी पूर्व सांसद के घर तक कोई सड़क और आम रास्ता नहीं बन सका. शिक्षाविद ने कहा कि हम आज भी आजाद नहीं हैं.

सीपीआई नेता प्रमोद प्रभाकर कहते हैं कि सामजिक न्याय की धरती हो या समाजवाद की धरती हो, समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति जिसे आप दलित कहते हैं, शोषित कहते हैं, पीड़ित कहते हैं, अतिपिछड़ा कहते हैं, उनकी तरफ इन पूंजीवादी दलों का ध्यान नहीं है. यहाँ सिर्फ वोट की राजनीति के लिए समाजवाद की धारा बताई जाती है. इसका ताजा उदाहरण  है पूर्व सांसद किराय मुसहर का घर और परिवार.

अब देखना दिलचस्प होगा क्या सूबे के मुखिया नीतीश कुमार पूर्व सांसद के परिजनों की माली हालात पर ध्यान दे पाते हैं और क्या उनके घर तक हो जाएगा आम रास्ता?
कहीं दीप जले कहीं दिल: राजकीय समारोह स्थल के बगल में मधेपुरा के पहले सांसद किराय मुसहर का घर उपेक्षित कहीं दीप जले कहीं दिल: राजकीय समारोह स्थल के बगल में मधेपुरा के पहले सांसद किराय मुसहर का घर उपेक्षित Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 24, 2018 Rating: 5

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