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खासकर मुरलीगंज के दो नेता ब्रह्मानंद जायसवाल और डीएन राम, जो उनसे ख़ास तौर से जुड़े थे, वे उनसे जुड़े कई बातें बताते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री के ओजस्वी भाषणों की चर्चा करते हुए वे बताते हैं कि पहली बार वर्ष 1954 में वे मुरलीगंज आये थे. दूसरी बार वर्ष 1975 में उन्होंने बी. एल. हाई स्कूल मुरलीगंज के मैदान में एक सभा को संबोधित किया था.
इसी दौरान उन्होंने स्कूल घूमकर वहां के विजिटिंग डायरी में स्कूल के लिए अपनी लेखनी में शुभकामनाएं इन शब्दों में लिखी, '"बलदेव लक्ष्मी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय उत्तरोत्तर उन्नति करें और चरित्रवान विद्यार्थी को शिक्षित करें यही मंगल कामना करता हूं." बता दें कि अटल जी की 02.01.1975 को लिखी हुई वो बातें 43 साल बाद अब भी मुरलीगंज में स्कूल में डायरी में सुरक्षित है.
दूसरी तरफ ब्रह्मानंद जायसवाल अपने एक संस्मरण को सुनाते बताते हैं कि वर्ष 1994 में फारबिसगंज के एक कार्यक्रम के दौरान अटल जी ने उनकी डायरी में चंद पक्तियाँ लिखी थी जो इस तरह है, 'सूर्य गिर गया अंधकार में ठोकर खाकर, भीख मांगता है कुबेर झोली फैलाकर, कण-कण को मोहताज कर्ण का देश हो गया, मां का अंचल द्रुपद सुता का केश हो गया.'
श्री जायसवाल कहते हैं कि 29.11.1994 को लिखी वो बातें अब उनकी यादों का एकमात्र सहारा उनके पास रह गया था. मुरलीगंज के दोनों नेता ब्रह्मानंद जायसवाल और डीएन राम कहते हैं कि उन्हें अब भी इस बात का सुकून है कि ऐसे महान शख्स से उन्हें कई बार मिलने और बातें करने का अवसर मिल पाया था.
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अटल जी की हस्तलिखित अब भी सुरक्षित है मुरलीगंज में, पढ़िए उनकी लेखनी में
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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August 17, 2018
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